चंडीगढ़, 6 जून (ट्रिन्यू)
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि भाजपा-जजपा सरकार ने हरियाणा के पूरे शिक्षा तंत्र का बंटाधार कर दिया है। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक प्रत्येक शिक्षण संस्थान सरकार के निशाने पर है। अब इसके नतीजे सामने दिखने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के टॉप 100 में हरियाणा का कोई विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान नहीं है। हुड्डा ने कहा क एनआईआरएफ टॉप-100 रैंकिंग में हरियाणा के एक भी संस्थान का न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से हरियाणा के विवि की रैंकिंग लगातार गिरती आ रही है।
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले कई साल से सरकार पहले से स्थापित विश्वविद्यालय की व्यवस्था से छेड़छाड़ कर रही है। विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर हमला करने के साथ सरकार ने अब उनको ग्रांट देने से भी इनकार कर दिया। यानी अब सभी विश्वविद्यालयों को अपना खर्चे खुद उठाना पड़ेगा। जाहिर है कि सरकार के इस कदम से सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की फीस में भयंकर बढ़ोतरी होगी। गरीब, पिछड़े व दलित विद्यार्थियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप से लेकर अन्य रियायतों में भारी कटौती होगी। होस्टल फीस से लेकर एडमिशन तक किसान, गरीब, दलित व पिछड़े परिवारों की पहुंच से बाहर हो जाएंगे।
मौजूदा सरकार शिक्षण संस्थानों को जरूरी ग्रांट, यहां तक कि कर्मचारियों की सैलरी तक समय पर नहीं दे रही है। स्पष्ट है कि सरकार पूरे के पूरे शिक्षा तंत्र को निजी हाथों में सौंपना चाहती है। मेडिकल फीस में 20 गुना की बढ़ोतरी जैसे फैसलों के जरिए सरकार अपने मंसूबे पहले ही जाहिर कर चुकी है। हुड्डा ने बताया कि सरकार ने बजट में शिक्षा जीडीपी का महज 2% खर्च करने का ऐलान किया है। जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है।
वहीं सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क रैंकिंग में हरियाणा की शिक्षा नीति की पोल खुल गई है। 9 साल के अदूरदर्शी शासन के नतीजे खुद बोल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस सरकार ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई, अपराध, नशाखोरी जैसी रैंकिंग में हरियाणा को देश के टॉप राज्यों में पहुंचा दिया है।
किसानों के मुद्दे पर दागे सवाल एमएसपी पर खरीद क्यों नहीं
चंडीगढ़, 6 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा कांग्रेस के पांच विधायकों ने एमएसपी, मुआवजे, सिंचाई से लेकर कृषि से जुड़े तमाम मुद्दों पर गठबंधन सरकार को घेरते हुए जवाब मांगा है। मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक, गीता भुक्कल, शमशेर गोगी, वरुण मुलाना, शैली चौधरी और अमित सिहाग ने सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेरा। विधायक जगबीर मलिक ने कहा कि किसानों को खाद, बीज और दवाई से लेकर ट्रैक्टर पुर्जों पर 28 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ता है। कांग्रेस सरकार के मुकाबले ट्यूबवेल कनेक्शन लेना आज कई गुना महंगा हो गया है। किसानों पर सरकारी नीतियों की चौतरफा मार पड़ रही है।
मलिक ने कहा कि किसानों को एमएसपी देने की बजाय सरकार भावांतर भरपाई योजना का झुनझुना बजा रही है। इस योजना ने पहले सब्जी, फिर बाजरा किसानों को बर्बाद किया और अब सूरजमुखी के किसानों पर यह योजना थोप दी गई। सूरजमुखी की एमएसपी 6400 रुपये है, लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने की वजह से सूरजमुखी सिर्फ 4000-4400 रुपये में बिक रही है। किसानों को प्रति क्विंटल 2 हजार रुपये से ज्यादा का घाटा हो रहा है।
विधायक वरुण मुलाना ने कहा कि किसानों के नाम पर सरकार के नेता एक के बाद 18 देशों में गए। कई देश तो ऐसे थे, जिसमें 1 से ज्यादा बार नेता गए। नीदरलैंड में 3, यूके में 2, स्पेन में 2 बार सत्ताधारी नेता गए। लेकिन वहां से क्या सीखकर आए। सरकार ने दादूपूर-नलवी नहर और हांसी-बुटाना जैसी किसान हितैषी परियोजनाओं को बंद करने का दूर्भाग्यपूर्ण निर्ण लिया। गीता भुक्कल ने कहा कि सरकार किसानों के साथ लगातार वादाखिलाफी कर रही है। किसानों की आय दोगुनी करना मात्र एक जुमला था। इस सरकार ने किसानों पर 3 कृषि कानून थोपे और उनका विरोध करने वाले किसानों पर अत्याचार किए। जिन गिने-चुने किसानों को सरकार ने मुआवजा दिया उनसे भी भेदभाव किया गया।