नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 12 अगस्त
नियमों के खिलाफ अपनी शक्तियों का प्रयोग कर जमीन की रजिस्ट्री करने वाले राजस्व अधिकारियों पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। ये गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत लेने अदालत में भी पहुंचे लेकिन दो राजस्व अधिकारियों की याचिका अदालत ने खारिज कर दी। इन सभी को सस्पेंड कर राजस्व मुख्यालय से जोड़ा गया है लेकिन अभी तक किसी ने भी मुख्यायलय में ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है।
हरियाणा डवलेपमेंट एंड रेगुलेशन आफ अबर्न एरियाज एक्ट 1975 के सेक्शन 7ए, ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स की निर्धारित अवधि से पहले व दूसरे नियमों की अवहेलना के आरोप में दो तहसीलदार व 9 नायब तहसीलदारों समेत कुल 11 राजस्व अधिकारियों के खिलाफ 10 एफआईआर अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। इनमें से 9 एफआईआर अलग-अलग नाम से अलग-अलग थानों में दर्ज हैं, जबकि एक एफआईआर में छह राजस्व अधिकारी नामजद हैं। सबसे ज्यादा तीन एफआईआर नायब तहसीलदार जगदीश बिश्नोई व ओमप्रकाश के खिलाफ दर्ज हैं। इन सभी के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 भी लगा रखी है तथा राजस्व विभाग के आदेशानुसार इन्हें सस्पेंड कर सस्पेंशन अवधि में राजस्व मुख्यालय के साथ इन्हें जोड़ा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि सभी 11 राजस्व अधिकारियों में से कोई भी मुख्यालय में ड्यूटी पर मौजूद नहीं हैं।
कोई अपने बचाव के लिए अपने आकाओं के चक्कर लगा रहा है तो कोई अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर रहा है। बीते शुक्रवार एक तहसीलदार व एक नायब तहसीलदार ने यहां की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी लेकिन इसे मंगलवार को अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद इन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा है। पुलिस पर भी इन्हें गिरफ्तार करने का दबाव है।
हालांकि ये हाईकोर्ट का रूख करने की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस के एक अधिकारी की मानें तो, ‘फिलहाल जांच की जा रही है। सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने के लिए कहा है।’ वह बताते हैं कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी तय है। बीते दिनों यूनियन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाने के लिए ज्ञापन देने, आरोपी राजस्व अधिकारी भी पहुंचे थे लेकिन पुलिस के डर से ये लोग लघु सचिवालय के अंदर नहीं जा रहे हैं।
पुलिस बना सकती है एसआईटी
राजस्व अधिकारियों पर दर्ज 10 एफआईआर की जांच के लिए पुलिस एसआईटी का गठन कर सकती है। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से इसके लिए हरी झंडी नहीं मिली है। लेकिन मामले की गंभीरता और ज्यादा राजस्व अधिकारियों की संलिप्तता के चलते एसआईटी बनाया जाना तय माना जा रहा है।