नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 20 सितंबर
नगर निगम के अधिकारियों के जीतोड़ ‘प्रयासों’ के बावजूद अवैध निर्माणों नहीं रूक पा रहे हैं। ‘ऊंची पहुंच’ वाले अफसरों की ‘निगरानी’ को धत्ता बताकर नियमों के खिलाफ निर्माण बिजली की गति से पूरा करने में जुटे हैं। सीलिंग व एफआईआर जैसी कार्रवाई भी अवैध निर्माण कर शहर की सूरत बिगाड़ने वाले बिल्डर्स को डरा नहीं पा रही है। डिप्टी मेयर सुनीता यादव का दावा है, ‘नियमों की अनदेखी करने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।’
अवैध निर्माण करने वाले माफिया ने अफसरों की शह पर ऐसा तोड़ खोज लिया कि कई बार तो शिकायतकर्ता भी गच्चा खा जाता है। ये निगम के नियमों के अनुसार सभी शर्तें पूरा करते हुए नक्शा पास करवा लेते हैं, लेकिन निर्माण पास करवाए गए बिल्डिंग प्लान के अनुरूप नहीं किया जाता।
अफसरों की ‘मेहरबानी’ से निर्माण स्थल से संबंधित फाइल पूरी मजबूत होती है। शिकायत की स्थिति में ‘बिल्डिंग प्लान अप्रूव्ड’ बताकर संबंधित क्षेत्र के अधिकारी निगम कमिश्नर तक को गुमराह कर डालते हैं। जोन दो के न्यू कालोनी क्षेत्र में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं जब स्थानीय अधिकारियों ने निगम कमिश्नर तक को गलत रिपोर्ट दे दी। पूर्व मंत्री धर्मबीर गाबा की कोठी के सामने वाली व आसपास की गलियों में आधा दर्जन ऐसे निर्माण कार्य चल रहे हैं जिनका बिल्डिंग प्लान तो अप्रूव्ड है, लेकिन इन्हें बिल्डिंग प्लान के अनुसार बनाया नहीं जा रहा। जून महीने में तत्कालीन एसडीओ ने इस क्षेत्र के कई निर्माणकर्ताओं पर बार-बार सील तोड़ने और नियमों के खिलाफ निर्माण करने के आरोप में न्यू कालोनी थाने में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए शिकायत दी लेकिन कुछ दिन बाद एसडीओ ने उक्त शिकायत वापस ले ली। हैरत की बात यह है कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट निगम कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने तलब की तो अधिकारियों ने उन्हें भी गलत रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में निगम कमिश्नर को बताया गया कि निर्माण नियमों के अनुसार हो रहा है जबकि एसटीपी कार्यालय की रिपोर्ट में उक्त निर्माणों के कई हिस्सों को नियमों व अप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान के अनुसार तोड़ने की सिफारिश की गई है।
शिकायत का कोई फायदा नहीं
स्थानीयजन आरोप लगाते हैं कि शिकायत करने का भी कोई लाभ नहीं होता। सिफारिश और लेनदेन का चलन ऐसा बढ़ गया है कि अफसरों ने अवैध निर्माण करने वालों को खुली छूट दे दी है। कमोबेश यही स्थिति आयुद्ध भंडार के 900 मीटर के प्रतिबंधित दायरे में है। आरटीआई एक्टिविस्ट प्रदीप कुमार का कहना है, ‘इस क्षेत्र में अवैध निर्माण विद्युत गति से किए जा रहे हैं। रातों रात इमारतें बनकर तैयार हो जाती हैं लेकिन अफसरों को पता नहीं चलता।’
तीन टीमें भी नहीं रोक पा रही
निगम कमिश्नर ने करीब एक पखवाड़े पूर्व विशेष आदेश जारी कर प्रतिबंधित दायरे में निर्माण रोकने के लिए एक्सईएन गोपाल कलावत, एक्सईएन धर्मबीर मलिक व एसडीओ नरेश कुमार के नेतृत्व में तीन अलग-अलग दस्तों का गठन किया हैं। लेकिन दस्ता कितना कारगर हो पा रहा है इसका अनुमान यहां हो रहे निर्माणों को देखकर लगाया जा सकता है। खास बात यह है कि इन दस्तों की निगरानी एडिशनल व ज्वाइंट कमिश्नर सीधे तौर पर कर रहे हैं।
“अवैध निर्माणों की शिकायतें बड़ी संख्या में मिल रही हैं। ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि बिल्डिंग पहले सील कर दी जाती है तथा बिना अनुमति के सील खोलकर निर्माण कार्य करने दिया जाता है। अवैध निर्माण करने वालों व इनके साथ मिलीभगत करने वाले अफसरों की पहचान कर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।”
-सुनीता यादव, डिप्टी मेयर