शिखर चंद जैन
घरेलू नुस्खों से सौंदर्य निखार और सेहत संबंधी समस्याओं का निदान सदा से किया जाता रहा है। ऐसा सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर की संस्कृतियों में होता रहा है। हमारे देश में प्रचलित अनेक नुस्खों के बारे में हम-आप जानते हैं या समय-समय पर पढ़ते रहते हैं। आइए आज जानते हैं कुछ देशों में प्रचलित, लोकप्रिय और कारगर होम रेमेडीज यानी घरेलू नुस्खों के बारे में।
फ्रांस : सिरके से इन्फेक्शन का मुकाबला
फ्रांस में सिरके को इन्फेक्शन से लड़ने के मामले में बेहद प्रभावी माना गया है। वहां सिरके का इस्तेमाल ऐसे ही कई मामलों में खूब किया जाता है। इन्फेक्शन के साथ ही एंटी बेक्टीरियल के रूप में यहां लहसुन, रोजमेरी, सेज, लैवेंडर, काली मिर्च आदि का भी खूब प्रयोग किया जाता है। कुछ प्रयोगों में एप्पल साइडर विनेगर को ब्लड प्रेशर लेवल कंट्रोल करने वाला पाया गया है। साथ ही इसके सेवन से ओवर ईटिंग से भी बचा जा सकता है ऐसा एक स्वीडिश स्टडी में पाया गया है। लेकिन इसे हमेशा पानी या चाय में मिलाकर लेना चाहिए वरना इसकी अम्लता दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचा सकती है।
मलेशिया : पपीते से पाचन दुरुस्त
जर्नल ऑफ मेडिसिनल फूड में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि पपीते के नियमित सेवन से आंतों में मौजूद पैरासाइट्स का खात्मा होता है। इस संबंध में बताया जाता है कि नाइजीरिया की ओबाफेमी अवोलोवो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बच्चों को पपीते खिलाकर अध्ययन किया और पाया कि उनकी आंतों में मौजूद कीड़े व पैरासाइट्स पपीते के सेवन से मर गए। साथ ही यह आंव जैसी समस्या में भी प्रभावी प्रमाणित हुआ। जर्नल न्यूरोएंड्रोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि पपीते के सेवन से ब्लाॅटिंग व कंस्टीपेशन की समस्या भी दूर होती है। पपीते में कैरीसोल नामक लाभकारी तत्व होता है। यह विटामिन सी और फाइबर का भी अच्छा स्रोत है। सब जानते हैं कि पपीते का इस्तेमाल हर जगह पेट के मामले में अच्छा माना जाता है।
जर्मनी : कैलेंडुला से करते हैं इन्फ्लेमेशन का इलाज
मेरीगोल्ड फूल यानी कैलेंडुला को जर्मनी के लोग प्रदाह से निजात पाने का रामबाण उपाय मानते हैं। हाथों का रूखापन, कीड़े-मकोड़ों के काटने, कील मुंहासे और स्किन की अन्य समस्याओं में कैलेंडुला उपयोगी पाया गया है। होम्योपैथी में इसका मलहम भी उपलब्ध है। स्टडी में पाया गया है कि इस फूल में एंटीइन्फ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबॉयल तत्व होते हैं जो इन्फेक्शन से बचाव करते हैं और घाव जल्दी भरने में मददगार होते हैं। जिनके पैरों में घाव हो जाते हैं उनमें इसके प्रयोग से जल्दी आराम मिलता है।
नीदरलैंड : मुलेठी से गले की सूदिंग
नीदरलैंड में आपको हर कहीं मुलेठी से बनी ड्रॉपजेश कैंडी मिल जाएगी जिसका उपयोग गले की खराश मिटाने के लिए किया जाता है। मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ वियना द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि मुलेठी के पानी से गरारे करने वाले लोगों को सोर थ्रोट की समस्या कम होती है। मुलेठी की जड़ मीठी होती है। एक दिन में इसका सेवन 100 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं करना चाहिए वरना रक्त का पोटैशियम लेवल कम हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया : यूकेलिप्टस ऑयल से साइनस की सफाई
नाक जाम होने या सर्दी-जुकाम होने पर आस्ट्रेलिया के लोग यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदें गर्म पानी में डालकर इसकी भाप लेते हैं। इससे तुरंत आराम महसूस होता है। द लैरिंगोस्कोप में प्रकाशित अध्ययन में जर्मन शोधकर्ताओं ने भी पाया कि साइनोसाइटिस के इलाज व म्यूकस और नेजल ब्लॉकेज के इलाज में यूकेलिप्टस ऑयल काफी उपयोगी होता है। ऑस्ट्रेलिया में यूकेलिप्टस के पेड़ खूब पाए जाते हैं। यह एलर्जिक राइनाइटिस में भी फायदेमंद है।
विश्वभर में प्रचलित इन नुस्खों के बारे में आपने जाना। वैसे कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लेनी चाहिए।