डॉ. मोनिका शर्मा
जिस तरह नौकरी ज्वाइन करने के लिए किसी नए कर्मचारी की नियुक्ति से पहले साक्षात्कार लिया जाता है उसी तरह नौकरी छोड़ते समय भी कंपनियां और संस्थान इंटरव्यू लेते हैं। ह्यूमन रिसोर्स की भाषा में कहें तो इस प्रक्रिया का उद्देश्य एक सर्वे करना होता है जिसमें कंपनी या संस्थान को छोड़कर जाने वाले लोगों से यह जानने की कोशिश की जाती है कि वे नौकरी किन कारणों से छोड़ रहे हैं। साथ ही वहां काम करते हुए उन्हें कैसा लगा और वे संस्थान से अन्य साथी कर्मचारियों और अपने सीनियर्स को लेकर क्या फीडबैक देना चाहेंगे? ताकि जानकारी जुटाकर आगे बेहतर नीतियां और नियम बनाने के लिए काम किया जा सके। अधिकतर नियोक्ता यही मानते हैं कि ऑर्गनाइज़ेशन अच्छा काम कर रहा है या नहीं और सुधार के लिए क्या किया जाये, इसके लिए छोड़कर जा रहे मुलाज़िम की फीडबैक मदद कर सकती है। ऐसे में जो प्रक्रिया पूरी तरह बेहतर व्यावसायिक वातावरण तैयार करने का ज़रिया भर है, उसमें आप अपने अनुभवों और विचारों की नकारात्मकता उड़ेलने से बचें| इसलिए भी कि नौकरी छोड़ने का अर्थ किसी संस्थान से सदा के लिए रिश्ता तोड़ लेना भी नहीं है। बेवजह की नेगेटिविटी के साथ अगर आप संस्थान की छवि ख़राब करने वाले विचार देंगे तो आपकी इमेज के लिए भी नुकसानदेह ही है।
सवालों में न उलझें
एक्जिट इंटरव्यू के दौरान आमतौर पर कुछ साधारण सवाल ही किये जाते हैं। ये कॉमन प्रश्न कंपनी छोड़कर जाने वाले हर कर्मचारी को पूछे जाते हैं। जैसे कि आप नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं? इस संस्थान में आपको सबसे अच्छा क्या लगा? आप कौन से बदलाव चाहते हैं? जो हो जाये तो आप ये जॉब नहीं छोड़ेंगे। ऐसे सभी सवाल उस संस्थान की बेहतरी के लिए होते हैं। वहां की वर्क कल्चर को सुधारने और माहौल को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किये जाते हैं। मन परखने को भी कि वह क्यों जा रहा है? सवाल प्रोफेशनल हैं तो आपके जवाब भी सटीक ही होने चाहिए। कारण को शालीनता से शेयर करें। इन सवालों में उलझ कर नकारात्मक बातें न कहें। संस्थान को निशाना बनाने के बजाय पेशेवर सोच के साथ अपना रुख सामने रखें किसी भी तरह की आलोचना न करें। इंटरव्यू में अपना गुस्सा जाहिर करने से भी बचना ज़रूरी है। संतुलित विचारों के साथ एक्जिट इंटरव्यू का हिस्सा बनें।
व्यक्तिगत टिप्पणी न करें
एक्जिट इंटरव्यू उसी विभाग द्वारा लिया जाता है जिस विभाग से जाने वाला एम्पलोई जुड़ा होता है। इसलिए कई सवाल साथी कमचारियों के व्यवहार और प्रोफेशनल योग्यताओं को लेकर भी किये जाते हैं। ऐसे में आपकी नकारात्मक और आलोचना भरी टिप्पणी से आपकी टीम के साथियों को नुकसान पहुंच सकता है। ये बात उनको नुकसान पहुंचाने के साथ ही आपकी इमेज एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बनाएगी जो प्रोफेशनल सोच से परे है। इस इंटरव्यू के दौरान फोकस कीजिये कि नौकरी के दौरान क्या आपके काम आया। साथ ही कि आपकी टीम के बारे में क्या अच्छा था। नौकरी छोड़ते समय अपने नियोक्ता के बारे में खराब बातें न बोलें। किसी भी सहकर्मी का नाम लेकर उससे कार्यकाल के दौरान हुयी गलती का ब्लेम न डालें। मेरी नयी जॉब इससे कहीं बेहतर है और जॉब ज़्यादा तनख्वाह के लिए छोड़ रहे हैं ऐसी बात भी न कहें। इस संस्थान के साथ अब कभी काम नहीं करूंगा जैसे जुमले न कहें। रचनात्मक आइडियाज़ पर चर्चा करें जो कार्यकाल के दौरान आपके लिए भी सहायक रहे।
उपलब्धियों-ज़िम्मेदारियों की बात
अपने वर्क पीरियड के दौरान आपकी जो भी उपलब्धियां और ज़िम्मेदारियां रहीं उनकी भी बात करें। उन्हें पूरा करते हुए जो सीखा और समझा उसे बताएं। यह बात आगे के लिए आपकी अच्छी इमेज बनाएगी। जरूरत पड़ी तो भविष्य में उस संस्थान में फिर लौटने में मदद करेगी। ऑफिस में बातचीत में भी अपने पूर्व सहकर्मियों को उत्साह और अच्छे मन के साथ धन्यवाद कहें। शिकवे-शिकायत से परे बस इस विचार को तरजीह दें कि आप अपनी भूमिका अच्छे से निभा पाए। ये इंटरव्यू दफ्तर में भी लिए भी जाते हैं और ऑनलाइन भी। सर्वे बताते हैं कि पेपर एंड पेन्सिल के साथ होने वाले एक्जिट इंटरव्यू में बहुत कम लोग हिस्सा लेते हैं। केवल 30-35 फ़ीसदी एम्पलॉइज़ ही इस तरह से एक्जिट इंटरव्यू देते हैं जबकि ऑनलाइन एक्जिट इंटरव्यू देने वाले 65 प्रतिशत एम्पलॉइज़ हैं। आपके लिए जो भी सुविधाजनक हो उस प्रोसेस को अपनाते हुए इस प्रक्रिया में हिस्सा ज़रूर लें। यह आपके लिए भी आवश्यक है कि कंपनी में निभाई अपनी भूमिका के बारे में जानें।