कुमार गौरव अजीतेन्दु
डाइबिटीज यानी मधुमेह या शुगर मुख्यतः एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होता है। इस बीमारी में अपने खान-पान को नियंत्रित और नियमित रखना बेहद जरूरी है। असल में शुगर पेशेंट को लाइफ स्टाइल का खास ध्यान देने की जरूरत होती है। किसी डायबिटिक पर्सन के डाइट चार्ट में दूध-दही का क्या स्थान हो, इस बारे में सीनियर मेडिकल काउंसलर डॉ. शशांक शर्मा ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को दूध का सेवन करने में सावधान रहना चाहिए क्योंकि दूध में लैक्टोज पाया जाता है, जो चीनी का ही एक रूप है। इसलिए इसकी मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है। जिला नोडल चिकित्सा अधिकारी कबीरधाम, छत्तीसगढ़ में तैनात डॉ. शशांक शर्मा यह भी कहते हैं कि दूध में मौजूद फैट भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें खड़ी कर सकता है लेकिन इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन जैसे पोषक तत्व डायबिटीज से पीड़ित लोगों की हेल्थ अच्छी रखते हैं। आइये इस संबंध में और विस्तार से जानते हैं।
दूध का सेवन करें या नहीं?
डायबिटीज रोगी के लिए दूध की अलग वैरायटीज़ को चुनना चाहिए। हाई प्रोटीन और लो फैट वाला दूध डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए पूरी तरह सेफ है। इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायता मिलेगी। सोते समय दूध पीने से बचना चाहिए क्योंकि रात में दूध में मौजूद कैलोरी की मात्रा शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाएगा और आपको असुविधा महसूस होने लगेगी। लो फैट मिल्क सुबह के नाश्ते के साथ ले सकते हैं। सुबह के समय ब्लड शुगर लेवल कम होता है और बॉडी को एनर्जी की ज़रूरत होती है। इसलिए शुगर पेशेंट को अगर दूध लेना ही हो तो सुबह नाश्ते के साथ लेना चाहिए।
दही का सेवन कैसे और कब?
दही का सेवन इसके कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कम ग्लाइसेमिक लोड के कारण डायबिटिक लोगों के लिए लो रिस्क से जुड़ा हुआ है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट वाली खाने की चीजों की रैंकिंग का एक सिस्टम है, जो कि इस बात पर आधारित है कि खाने की कोई चीज सेवन के बाद कितनी तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ाती है और गिराती है? वहीं ग्लाइसेमिक लोड नाम का पैमाना, ब्लड शुगर पर भोजन के असल प्रभाव की अधिक सटीक तस्वीर देता है।
दही/योगर्ट का संतुलित मात्रा में सेवन टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को 14 प्रतिशत तक कम करता है। अपनी सेहत की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए आप 125 ग्राम तक दही/योगर्ट ले सकते हैं। दही का प्रोबायोटिक प्रभाव ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने और बुजुर्गों में डायबिटीज के रिस्क को कम करने में मदद करता है। अच्छी क्वालिटी का योगर्ट चुनने के लिए प्रोडक्ट के लेबल को जांच लें कि उसमें कार्ब्स 10-15 प्रतिशत तक हों। ब्रेकफास्ट में हाई प्रोटीन या कार्ब डाइट की जगह पर इसका सेवन किया जा सकता है। खाने के बाद मिठाई के विकल्प में भी आप दही ले सकते हैं। हां, अपनी बीमारी की कंडीशन को समझकर और अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार बताई गयी मात्रा में ही ये चीजें खानी चाहिए। अगर दही खाने से कोई विकार उत्पन्न होता है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।