डॉ. नीरोत्तमा शर्मा
देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों की पहुंच तथा ऑनलाइन शॉपिंग का खासा विस्तार हुआ है। लेकिन साथ ही उपभोक्ता उपकरणों की खरीद से जुड़ी विसंगतियां भी सामने आई हैं। एक सर्वेक्षण बताता है कि देश में उपकरणों की तकनीकी सहायता से जुड़ी धोखाधड़ी के मामलों में यह दर खासी ऊंची रही है। एक अनुमान के अनुसार, यह दुनिया में सर्वाधिक है। वहीं इकत्तीस फीसदी लोगों को इसके चलते नुकसान उठाना पड़ा। इन मामलों में उपभोक्ताओं को घरेलू उपकरण की सर्विस करानी थी। आधुनिक जीवनशैली के साथ हमारे घरों में ऐसे उपकरणों ने प्रवेश किया, जिनके स्थान पर हम मैनुअली काम करते थे। जैसे वॉशिंग मशीन, खाना पकाने के उपकरण, रेफ्रिजरेटर, डिशवॉशर, माइक्रोवेव ओवन, ए.सी. आदि।
सर्विस सेंटर का भ्रम
व्यक्ति की कोशिश होती है कि अच्छी कंपनी का उत्पादन खरीदे ताकि वह बाद में बेहतर ढंग से काम करता रहे। लेकिन तकनीकी कारणों से खराबी या टूट-फूट से परेशानी होती है। आजकल हम बिक्री के बाद की सेवा के लिये फोन या इंटरनेट के जरिये उत्पाद के सर्विस सेंटर से संपर्क करते हैं। तकनीशियन उपभोक्ता के घर पहुंचते हैं और समस्या का निराकरण करते हैं। लेकिन अधिकतर मामलों में धोखाधड़ी की समस्याएं सामने आ रही हैं।
धोखाधड़ी के ढंग
दरअसल, इंटरनेट पर उपभोक्ताओं को ठगने के लिये कई नकली सर्विस सेंटर अनेक लोकप्रिय ब्रांडों के अधिकृत सर्विस सेंटर के रूप में नजर आते हैं। ऐसे ठग फिर सर्च इंजन पर अपने फोन नंबर डाल देते हैं। समस्या में फंसे ग्राहक जल्दबाजी से इसे कंपनी का नंबर समझ लेते हैं। ऐसे मामलों में कई तरह धोखाधड़ी हो सकती है। संभव है वे अधिक फीस चार्ज करें, ठीक सर्विस न करें या फिर नकली पुर्जे लगाकर उपभोक्ता को चूना लगा दें।
वारंटी का जोखिम
उपभोक्ता का फोन नंबर गलत हाथों में जाने के अपने अलग खतरे हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता को सबसे बड़ा नुक्सान इस बात का होता है कि बाहरी व्यक्ति द्वारा मशीन या उपकरण में छेड़खानी से मशीन या उपकरण को बनाने वाली कंपनी की तरफ से दी जाने वाली वारंटी निष्प्रभावी हो जाती है। उनकी दलील होती है कि ग्राहक ने तीसरे पक्ष की सर्विस ले ली है। हालांकि, जाने-माने उत्पाद बेचने वाली कंपनियां ऐसे मामलों में उपभोक्ता को सचेत करती रहती हैं लेकिन सर्च इंजन में ऐसे तत्वों पर लगाम लगाना कठिन होता है।
अलर्ट रहने में फायदा
दरअसल, उपभोक्ता सजग सतर्क रहे तो ठगी से बच सकते हैं। उत्पादों की सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ अर्नब बागची बताते हैं कि उपभोक्ता कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर तलाशें। जिसे ऑनलाइन खोजने के बजाय उत्पाद पर ही उत्पाद के सर्विस फोन नंबर तलाशें। सभी प्रतिष्ठित उत्पादों की कंपनियां अपने टोलफ्री नंबर का उत्पाद पर उल्लेख करती हैं। साथ ही कॉल सेंटरों के माध्यम से टोलफ्री नंबरों से उपभोक्ताओं को सर्विस सुविधा प्रदान करती हैं।
अधिकृत ऐप, साइट से मदद
कई कंपनियों के मोबाइल ऐप भी मददगार हो सकते हैं। इसके बावजूद ऑनलाइन खोज करनी पड़े तो कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर ही तलाशें। दरअसल, प्रतिष्ठित स्वदेशी व बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद की साख के लिये तकनीशियनों के प्रशिक्षण, आईटी संरचना, कॉल सेंटरों तथा ग्राहकों को तुरंत सेवा के लिये काफी धन निवेश करती हैं। यह हकीकत भी है कि प्रशिक्षित तकनीशियनों द्वारा सर्विस से उत्पाद की गुणवत्ता में धनात्मक सुधार होता है। कई बार लोकल सर्विस से उत्पाद कार्यक्षमता प्रभावित होती है क्योंकि बहुत संभव है कि सस्ते पुर्जे कार्यक्षमता को प्रभावित करें। वहीं ऑनलाइन सर्च के दौरान उत्पाद के लिंक की वर्तनी तथा वेबसाइट में यूआरएल में https होना सुनिश्चित करें।
पहचान और गुणवत्ता
यदि तकनीशियन आपके घर आता है तो उसके बारे में जांच पड़ताल होनी चाहिए। मसलन उसका पहचान पत्र, आईडी, कंपनी की वर्दी तथा कंपनी के डिब्बे में बंद ओरिजनल पुर्जों की भी पड़ताल कर लें। साथ ही तकनीशियन को सर्विस से पहले सेवा हेतु शुल्क का भुगतान न करें तथा सर्विस सेंटर के जरिये ही भुगतान करें। जिसका विवरण एसएमएस के जरिये आप तक पहुंचना चाहिए। साथ ही सेवा के चालान पर काम होने के बाद हस्ताक्षर करके कंपनी को फीडबैक भी दें। जिसके जरिये उत्पाद की सर्विस से जुड़ी जानकारी कंपनी के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो जाती है। निस्संदेह, हमारी सजगता से जहां हमें संतोषजनक सेवा मिलती है, वहीं उत्पाद की गुणवत्ता की सेवा में भी वृद्धि होती है।