मंजिल दूर मगर उत्साहित है देश
बीते साल की तमाम मुश्किलों-त्रासदियों के बाद जब शनिवार को कोरोना संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई तो कई जगह उत्सव जैसा माहौल था। देश के तीन हजार के लगभग केंद्रों पर दो लाख के करीब अग्रिम योद्धाओं को कोविड-19 की वैक्सीन दी गई। कुल मिलाकर कार्यक्रम संतोषजनक रहा और बड़ा नकारात्मक पहलू सामने नहीं आया। निस्संदेह दुनिया के चंद चोटी के देशों में वैक्सीनेसशन की शुरुआत हो पायी है। उनमें हमारा शामिल होना हर भारतीय के लिये गर्व की बात है। इस मायने में भी कि प्रयोग की जा रही दोनों वैक्सीनों का निर्माण भारत में ही हुआ है। दुनिया को साठ फीसदी वैक्सीन की आपूर्ति करने वाले देश में अपनी वैक्सीन पर भरोसा किया जा सकता है। आज तमाम विकासशील और पड़ोसी मुल्क वैक्सीन की उम्मीद को लेकर भारत की ओर देख रहे हैं। निस्संदेह वैक्सीनों को लेकर कुछ लोगों के मन में शंकायें भी थीं। इसके जहां राजनीतिक कारण हैं वहीं कुछ तथ्यात्मक शंकायें भी हैं। भारत बायोटैक के टीके के अंतिम चरण के परीक्षण परिणामों के सामने न आने की वजह से सवाल उठाये जा रहे हैं। निस्संदेह, इन वैक्सीनों को अनुमति आपातकालीन प्रावधानों के तहत दी गई है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत बायोटैक पिछले 24 सालों से वैक्सीन बना रही है। इसने अब तक 16 वैक्सीन बनायी हैं और दुनिया के 123 देशों को निर्यात किया है। देश की ड्रग कंट्रोलर ने जांच के बाद ही अनुमति दी है।
हम यह न भूलें कि भारत अमेरिका के बाद सबसे अधिक संक्रमित होने वाले देशों में था। देश में एक करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए और डेढ़ लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। ऐसे में देश में निर्मित वैक्सीन का एक साल के भीतर बनना और उसका प्रयोग होना बड़ी उपलब्धि ही कही जायेगी। वहीं कतिपय राजनीतिक दलों के नेता कह रहे हैं कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को पहले टीकाकरण करवाना चाहिए था ताकि लोगों का इस अभियान में विश्वास बढ़े। कुछ लोग इसे बड़ा इवेंट मैनेजमेंट बनाने को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। कुछ राज्यों ने वैक्सीन कार्यक्रम के लिये बनायी गई को-विन ऐप की उपादेयता को लेकर सवाल उठाये, जिससे महाराष्ट्र में टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी पर टीका लगाने के लिये दबाव नहीं बनाया जायेगा। इतना जरूर कहा है कि शरीर में एंटीबॉडी विकसित होने के लिये वैक्सीन की दो डोज लेना अनिवार्य होगा। साथ ही किन रोगियों को ये वैक्सीन नहीं लेनी है, इस बाबत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। इसके साथ ही कुछ समय तक संक्रमण से बचाव के परंपरागत तरीके अपनाने की भी सलाह दी गई है। बहरहाल, महीनों की हताशा और भय के बाद देश में टीकाकरण अभियान का आरंभ होना सुखद ही है। सवा अरब से अधिक जनसंख्या का टीकाकरण करना निस्संदेह एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन अच्छी शुरुआत किसी अभियान की सफलता की राह तो निर्धारित करती है।