प्रदीप उपाध्याय
मैंने अखबार एक ओर सरकाते हुए जीवनसंगिनी से चाय की चुस्की लेते हुए कहा, ‘सुनती हो, अपने वो सत्यमेव जयते वाले अपनी दूसरी बीवी के साथ पन्द्रह साल का सफर पूरा कर अब तीसरे नये सफर की ओर निकलने वाले हैं।’ ‘इसमें कौन-सी नई बात है। जिस तरह से औरत का दिल साड़ी और जेवर से जल्दी भर जाता है, वैसा ही कुछ इन फिल्मी सितारों का रहता है।’
‘हां, शायद तुम सही कह रही हो तभी तो आमिर खान और किरण ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने अपने पन्द्रह साल के खूबसूरत सफर में एक साथ जीवन भर का अनुभव, आनंद और खुशी महसूस की है। उनका रिश्ता केवल विश्वास, सम्मान और प्यार के साथ बढ़ा है। अब वे अपने जीवन का एक नया अध्याय शुरू करना चाहेंगे। अब पति-पत्नी के रूप में नहीं बल्कि एक-दूसरे के को-पेरेंट्स और परिवार के साथ।’
‘लेकिन यह बात समझ में नहीं आई कि जब आपस में इतना विश्वास, सम्मान और प्यार था तो फिर पति-पत्नी के रूप में रहने में क्या दिक्कत है। और जब पति-पत्नी नहीं रहेंगे तो को-पेरेंट्स और परिवार बनकर कैसे रह सकेंगे!’
‘अरे इसमें आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं है। वे लोग जो कर बैठें, कम है। तुम्हें मालूम होगा कि आदर्शों की खान का पहले वाला प्यार सोलह साल चला। वहां भी प्यार के झंडे गाड़कर दिलदार अमीरी दिखाते हुए दो संतानों का तोहफा देकर दूसरे प्यार का नया अध्याय शुरू कर दिया। यहां भी आजाद ने आजादी दिलवा दी एक नया अध्याय शुरू करने के लिए।’
‘लेकिन यह बात समझ में नहीं आई कि उनके फैंस क्यों दुखी होंगे! उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा है कि आप लोगों को अच्छा नहीं लगा होगा, शॉक लगा होगा। हम बस इतना आपको कहना चाहते हैं कि हम लोग दोनों बहुत खुश हैं और हम एक परिवार हैं।’
‘अरे भाग्यवान, इसमें समझना क्या है। उनको अपनी पब्लिसिटी के लिए ऐसे नाटक तो करने ही पड़ते हैं। हां, पीके समाज को एक नई राह जरूर दिखा रहे हैं, एक नये संदेश के साथ!’
‘अगर ऐसा होता तो वे यह क्यों कहते कि हम लोग हमेशा फैमिली ही रहेंगे। हमारे रिश्ते में चेंज आया है, लेकिन हम लोग एक-दूसरे के साथ ही हैं, और पानी फाउंडेशन हमारे लिए आजाद की तरह है, जो हमारा बच्चा है, आजाद, वैसे ही पानी फाउंडेशन। तो हम लोग हमेशा फैमिली ही रहेंगे। हमारे लिए आप लोग दुआ करिए, प्रार्थना करिए कि हम खुश हों। बस यही कहना था हम लोगों को।’
‘अब तुम ही बताओ कि पति-पत्नी अलग होने के बाद कौन-सी फैमिली रह जाते हैं। और फिर आदमी जब नये-नये अध्याय शुरू करता रहेगा तो कितनी फैमिली अफोर्ड कर पाएगा। जब घुटने जवाब दे जाएंगे और गर्दन सिर का बोझ उठाने से इनकार करने लगेगी, तब कौन-सी फैमिली साथ खड़ी होगी? बस दुख है उन अनाथों के लिए, जिनके नाथ होने का वे दावा कर रहे हैं और सौदेबाज़ी कर रहे हैं।’
‘हां, मेरे सामने भी यही प्रश्न आ खड़ा हुआ है कि क्या वास्तव में ‘सत्यमेव जयते!’’