बिलावल भुट्टो ज़रदारी जब एससीओ बैठक में गोवा आये थे, तब किसी पत्रकार ने यह नहीं पूछा था कि इमरान ख़ान की गिरफ्तारी कब हो रही है? बिलावल भुट्टो ज़रदारी बहैसियत पाकिस्तान के विदेश मंत्री ही नहीं हैं, उनकी पार्टी सत्ता में साझीदार है, चुनांचे इतने बड़े फैसले से वो अनजान नहीं थे। इस गिरफ्तारी की टाइमिंग तो तय थी। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के परिसर में 9 मई, 2023 को दिन में सवा दो बजे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की जिस तरह से गिरफ्तारी हुई है, वह शेष दुनिया के लिए बड़ा सवाल छोड़ गया है। 10 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इमरान ख़ान की गिरफ्तारी अवैध नहीं है। इमरान अल क़ादिर ट्रस्ट घोटाले की सुनवाई में दूसरी बार अदालत में हाज़िर हुए थे।
पाकिस्तान का प्रतिपक्ष गिरफ्तारी से तपा हुआ है। आगजनी और हिंसा की देशव्यापी घटनाओं से दो जून की रोटी के लिए प्रयासरत पाकिस्तान का अवाम परेशान है। इमरान के वकील फैज़ल फरीद चौधरी ने बयान दिया कि हाईकोर्ट के इस ऑब्जर्वेशन के विरुद्ध हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने स्पष्ट किया कि कई बार कोर्ट नोटिस के बावजूद इमरान ख़ान अदालत में हाज़िर नहीं हो रहे थे। उनकी गिरफ्तारी की एक बड़ी वजह यह भी है।
इमरान ख़ान के सिर और टांगों में चोटें आई हैं। कोर्ट परिसर में उपस्थित कुछ वकील और पीटीआई के कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं। सोशल मीडिया पर मिर्च मसाले के साथ चली ख़बर ने देश में माहौल गरमा दिया है, जिस वजह से पंजाब में 14 मई को होने वाला चुनाव अब संभव नहीं दिखता। पाक सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई, 2023 को पंजाब में चुनाव कराने का आदेश दिया था, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देकर राणा सनाउल्लाह ने पिछले माह ही हाथ खड़े कर दिये थे। यह दीगर है कि इमरान ख़ान की पार्टी, ‘पाकिस्तान तहरीक ए-इंसाफ’ पंजाब में अपनी ज़मीन जरखेज कर रही थी। क्या इसका डर नहीं था कि पंजाब के चुनाव में इमरान ख़ान विक्टिम कार्ड खेलकर सारा खेल बिगाड़ सकते थे?
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ किसी भी क़ीमत पर पंजाब अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहते हैं। शरीफ परिवार की पूरी राजनीति पंजाब केंद्रित है, ठीक उसी तरह से जैसे भुट्टो का ख़ानदान सिंध की राजनीति करता रहा है। पाकिस्तान में आम फहम है कि जिस भी पार्टी की सत्ता पंजाब में होती है, उसके लिए इस्लामाबाद की गद्दी आसान होती है।
पाकिस्तान में सूबा ए पंजाब एक कार्यकारी मुख्यमंत्री के कंधे के सहारे चल रहा है। इस साल 30 अप्रैल तक वहां चुनाव हो जाना था, लेकिन शासन ने कहा कि 8 अक्तूबर को चुनाव कराना संभव होगा। इस बीच विपक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई, 2023 को पंजाब में चुनाव करा लेने की तारीख़ तय की थी। जो बातें निकलकर सामने आ रही हैं, उससे लगता है कि पाकिस्तान में न्यायपालिका का एक बड़ा हिस्सा देशव्यापी हिंसक माहौल बनाने में पेट्रोल का काम कर रहा है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में जुलाई, 2022 को हुए उपचुनाव की 20 सीटों में से 15 पर पीटीआई को सफलता हाथ लगी थी। पीटीआई की इस सफलता के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे और पीएमएल-एन के नेता हमजा शहबाज की मुख्यमंत्री वाली कुर्सी चली गई थी। चौधरी परवेज़ इलाही तब पंजाब के मुख्यमंत्री बनाये गये। उसके तीन माह बाद, 16 और 30 अक्तूबर, 2022 को हुए उपचुनाव में इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को नेशनल असेंबली की नौ सीटों में से सात, और पंजाब विधानसभा की तीन में से दो सीटों पर सफलता मिली थी। लेकिन 22 जनवरी, 2023 को पंजाब असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद परवेज़ इलाही की सरकार भी चली गई, मोहसीन रज़ा नक़वी कार्यकारी मुख्यमंत्री बनाये गये।
23 साल पहले, 1999 में पाकिस्तान में एक संस्था बनी थी, नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) इसका काम भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं-नौकरशाहों, सेना के अधिकारियों को पकड़ना था। शाहे वक्त को सलाम करने वाला एनएबी विरोधियों को निपटाने के काम आता रहा है। 2018 में एनएबी ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और उनके परिवार को भी पनामा पेपर्स में नहीं बख्शा था। जून, 2019 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी साढ़े चार अरब रुपये के बैंक घोटाले मामले में गिरफ्तार किये गये थे। यह मान कर चलें कि शरीफ और भुट्टो कुनबे को एक करने में एनएबी की कार्रवाई ने सीमेंट का काम किया था। यही लोग जब सत्ता में आते हैं, इनके सातों ख़ून माफ़ हो जाते हैं।
इमरान ख़ान को इसका अहसास था कि वो गिरफ्तार किये जाएंगे, इसलिए 9 मई, 2023 को गिरफ्तारी से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो भी जारी कर दिया था। सबसे दिलचस्प है, इस प्रकरण में सेना और पैरा मिलिट्री का कूद पड़ना। पाक सेना के इंटर पब्लिक प्रेस रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक प्रेस रिलीज़ के ज़रिये इमरान ख़ान को चेतावनी दी है कि वो सेना के अधिकारियों के विरुद्ध दुष्प्रचार न करें। लेकिन इमरान की गिरफ्तारी में सिंध और पंजाब रेंजर्स (पैरा मिलिट्री फोर्स) के इस्तेमाल पर भी सवाल उठा है। ‘आईएसपीआर’ का कहना है कि पाकिस्तान रेंजर्स आर्डिनेंस-1959, और मुल्की आइन का अनुच्छेद-147 इसकी अनुमति देता है कि रेंजर्स, एनएबी की कार्रवाई में इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
इस्लामाबाद स्थित नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. वसीम इशाक़ इमरान ख़ान पर रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना था कि पाकिस्तान की राजनीति में दो ख़ानदानों का वर्चस्व तोड़ने के वास्ते पूर्व क्रिकेटर इमरान ख़ान की एंट्री हुई थी। 9 अप्रैल, 2022 को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पास कराकर उनकी सत्ता छीन ली गई। मगर, इमरान ख़ान विक्टिम कार्ड खेलकर फिर से अवाम के बीच पॉपुलर हो गये, वह कांटे की तरह चुभने लगा है।
आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते लंदन स्थित ‘मेसर्स बहेरिया टाउन’ के मालिक रियाज़ के 190 मिलियन पौंड वाले आठ बैंक अकाउंट्स को ‘सेटल’ करने में मदद की थी। बदले में इमरान ख़ान व उनकी पत्नी बुशरा बीबी के अल क़ादिर ट्रस्ट यूनिवर्सिटी को मेसर्स बहेरिया टाउन की ओर से 458 एकड़ ज़मीन, और 50 अरब रुपये दिये गये थे। सुबूत के तौर पर बातचीत के कुछ टेप भी एनएबी के हाथ लगे बताये जाते हैं। यदि आरोप साबित हो जाता है, तो इमरान ख़ान के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाना संभव है। यही इस पूरे प्रकरण का क्लाइमेक्स है, जिसे चुनाव की घोषणा से पहले हो जाने का इंतज़ार है।
लेखक ईयू-एशिया न्यूज़ के नयी दिल्ली संपादक हैं।