ड्रोन-तकनीक ने दैनिक प्रशासनिक एवं पुलिस संबंधित समस्याओं के निवारण को आसान बना दिया है। हवाई फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी, यातायात नियंत्रण, आपदा नियंत्रण, निर्माण एवं संचार सेवाओं के सुचारु संचालन, फसलों के सर्वेक्षण तथा उन पर कीटनाशकों का छिड़काव, सीमाओं पर निगरानी, दूरगामी क्षेत्रों में दवाइयों एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने में ड्रोन सहायक साबित हो रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘गरुड पोर्टल’ नामक एक सुविधा उपलब्ध कराई थी जिसके माध्यम से मानव रहित यान (ड्रोन) का प्रयोग करके आकाश से फोटोग्राफी, निगरानी और नागरिकों के लिए आवश्यक संदेशों को प्रसारित किया गया था। सरकारी विभागों में ही नहीं, प्राइवेट क्षेत्र में भी ड्रोन-तकनीक का उपयोग व्यापक स्तर पर हो रहा है। व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए ड्रोन के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के साथ-साथ मनोरंजन के क्षेत्र में भी प्रयोग किए जा रहे हैं।
पिछले महीने, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में एक ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। जांच में पाया गया कि इस मानवरहित यान का प्रयोग करके एक व्यक्ति अनधिकृत रूप से दवाइयों की आपूर्ति में संलिप्त था। फरवरी, 2024 में भोजन ले जा रहा ड्रोन एक मकान की छत पर लगे एंटिना से टकरा कर चूर-चूर हो गया था तथा मकान को भी क्षति पहुंचाई थी। आतंकवादी और असामाजिक तत्व सीमा पार से मानवरहित यानों का प्रयोग करके हथियार और नशीले पदार्थ निरंतर भारतीय क्षेत्र में गिराते रहते हैं। पुलिस इस दुविधा में रहती है कि क्या कानून ऐसे ड्रोनों को मार गिराने की इज़ाजत देता है अथवा नहीं? वहीं दूसरी ओर हाल ही में हरियाणा पुलिस ने जब पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों के मार्च को रोकने के लिए ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराए थे तो लोगों ने इस कार्रवाई की आलोचना की थी। इन घटनाओं में यह तथ्य उजागर होता है कि मानवरहित यानों के संचालन से संबंधित पर्याप्त कानूनों का अभाव ही नहीं, अपितु जो नियम हैं भी उनकी पालना नहीं हो पा रही है।
मानवरहित यानों से संबंधित भारत में सबसे पहले नियम महानिदेशक नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) ने ‘भारतीय वायुयान अधिनियम 1934’ के अन्तर्गत बनाए गए थे जिन्हें ‘सिविल एवियेशन रिक्वायरमेंट-2018’ (सीएआर) नाम दिया गया था। 12 मार्च, 2021 को ‘सीएआर’ को बदलकर ‘मानवरहित विमान प्रणाली नियम-2021’ (यूएएस रूल्स) स्थापित किए गए थे। इन नियमों में ड्रोन से संबंधित मूल अधिनियम जैसे पंजीकरण, लाइसेंस, निजता और सूचना की गोपनीयता तथा उड़ानों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। अगस्त, 2021 में, ‘यूएएस रूल्स’ में संशोधन करके ‘द्रोण नियम 2021’ अधिसूचित किए गए थे, जिनमें वर्ष 2022, 2023 और 2024 में निरन्तर संशोधन किए जाते रहे हैं।
अप्रैल, 2021 में, शांति एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर, पूरे देश में सुरक्षा बलों को ‘यूएएस-रूल्स’ से मुक्त करके उन्हें ड्रोन के उपयोग की छूट दे दी गई थी। यद्यपि इसका कानूनी परीक्षण अभी नहीं हो पाया है कि क्या पुलिस ड्रोन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले गिरा सकती है अथवा नहीं। यहां यह उल्लेखनीय है कि आंसू गैस का वर्गीकरण गोला-बारूद तथा ख़तरनाक अवयव की श्रेणी में किया जाता है।
वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार ड्रोनों को उनके वजन के आधार पर पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 250 ग्राम अथवा उससे कम भार वाले ड्रोन को ‘नैनो’, 250 ग्राम से 2 किलोग्राम तक के मानवरहित यानों को ‘माइक्रो’ 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक के ड्रोनों को ‘स्माल’, 25 किलाग्राम से 150 किलोग्राम तक के भार वाले मानवरहित यानों को ‘मीडियम’ तथा 150 किलोग्राम से अधिक वजन वाले ड्रोनों को ‘लार्ज’ श्रेणी में रखा गया है।
मानवरहित यानों का संचालन करने वाले व्यक्ति के पास ‘रिमोट पायलट सर्टिफिकेट’ (आरपीसी) होना अनिवार्य है। आरपीसी पाने के लिए व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो तथा वह 10वीं कक्षा पास होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसके पास ‘डीजीसीए’ द्वारा अधिकृत संस्थान से प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र होना भी जरूरी है। ‘नैनो’ ड्रोन तथा 2 किलाेग्राम वजन से कम वाले गैर-व्यावासायिक मानवरहित यान उड़ाने के लिए ‘आरपीसी’ की जरूरत नहीं है। हालांकि इस प्रकार के यंत्र केवल 50 फीट की ऊंचाई तथा 25 मीटर प्रति सैकेंड की गति से अधिक नहीं उड़ाए जा सकते हैं।
कोई भी मानवरहित यान 400 फीट की ऊंचाई से अधिक नहीं उड़ाया जा सकता तथा ड्रोन हमेशा पायलट की सीधी दृष्टि में होना चाहिए। हवाई अड्डों, मिलिट्री संस्थानों, वन्य संरक्षित क्षेत्र तथा पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के ऊपर ड्रोन उड़ाने की मनाही है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के 5 किलोमीटर तथा नागरिक हवाई अड्डों के 3 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है। मानवरहित यान का व्यावसायिक प्रयोग करने से पहले डीजीसीए से परमिट लेना आवश्यक है।
‘नैनो’ केटेगरी के मानवरहित यानों को छोड़कर, बाकी सभी ड्रोनों का मोटर व्हीकल इंश्योरेंस की तर्ज पर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना जरूरी है ताकि दुर्घटना में होने वाले किसी नुकसान की भरपाई की जा सके। शराब पीकर अथवा नशीले पदार्थों का सेवन करके मानवरहित यान का उड़ाना प्रतिबंधित है। चलते हुए वाहन, हवाई जहाज अथवा समुद्री यान से भी ड्रोन उड़ाने की मनाही है। ख़तरनाक और प्रतिबंधित पदार्थों का ड्रोन से गिराना वर्जित है। बिना मालिक की अनुमति लिए किसी की निजी सम्पत्ति के ऊपर ड्रोन उड़ाना निषेध है। ड्रोन नियमों की उल्लंघना करने पर ‘भारतीय वायुयान अधिनियम 1934’ की धारा 10ए के अन्तर्गत 1 लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।
मानवरहित यान आकाश में घूरती हुई तीसरी आंख की तरह है। समग्र कानून और नियमों के अभाव में आकाश में उड़ते हुए ड्रोन मनुष्य के निजता के अधिकार तथा सुरक्षा से संबंधित अनेक प्रकार की चुनौतियां प्रस्तुत कर रहे हैं। अभी तक मानवरहित यानों को वायुयान की श्रेणी में रखकर नियम बनाए गए हैं, जबकि वायुयान और ड्रोन के प्रयोग, उपयोग और उड़ाने के तौर-तरीके बिल्कुल अलग हैं। यह उचित होगा यदि ड्रोन संबंधित सभी मामलों को समाहित करते हुए एक समग्र कानून बनाया जाए, जिसमें कानून, आवश्यकता और निजता का आनुपातिक संतुलन हो।
लेखक हरियाणा पुलिस में महानिदेशक रहे हैं।