जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 मई
पंजाब यूनिवर्सिटी ने पिछले एक साल में कोरोना महामारी के दौरान छात्रों से एंट्रेंस टेस्ट के नाम पर करोड़ों रुपए जुटा लिये लेकिन मजे की बात ये है कि न तो कोई टेस्ट हुआ और न ही छात्रों को ये पैसे लौटाये गये। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजेंद्र के सिंगला ने 20 अक्तूबर 2020 को एक आरटीआई के माध्यम से यूनिवर्सिटी के सूचना अधिकारी से पूछा था कि उन्हें यह बताया जाए कि सत्र 2020-21 में विभिन्न कोर्सों में एडमिशन के लिए कितने टेस्टों के नाम पर कितना धन इकट्ठा किया गया। जब कोरोना महामारी के कारण न ही यह टेस्ट हो सकते थे, न ही अब तक हुए, तो वसूला गया पैसा क्या आवेदकों को लौटाया गया? जवाब में यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर सेंटर के डायरेक्टर ने बताया कि कुल 9 टेस्टों के नाम पर पैसे लिए गए हैं। सीईटी सेल के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने माना कि यह पैसा अभी यूनिवर्सिटी के पास ही है और आवेदकों को लौटाए जाने का कोई भी निर्देश अभी तक नहीं मिला है।
यूनिवर्सिटी अधिकारी तीन महीने तक यह बताने से बचते रहे कि कुल कितनी राशि इन टेस्टों से वसूली गई। आखिर में रजिस्ट्रार व अपीलीय अधिकारी विक्रम नय्यर ने अकाउंट्स ब्रांच के असिस्टेंट रजिस्ट्रार को आदेश दिए की उक्त जानकारी दे दी जाए। प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि वसूली गई राशि 97224066 रुपए है। उपराष्ट्रपति व पीयू के चांसलर को मामले से अवगत करवाते हुए सिंगला ने गुहार लगाई है कि इस मामले के दोषी उच्च अधिकारियों पर जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई की जाए।
पैसा लौटाने का सवाल ही नहीं : डीयूआई
पंजाब विश्वविद्यालय के डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शन्स (डीयूआई) प्रो. आरके सिंगला ने कहा कि पिछले साल जो भी टेस्ट की फीस ली गयी थी वह सब तो आनलाइन कौंसलिंग आदि कार्यों में यूज हो गयी है। इसलिये ये टेस्ट के लिये लिया गया पैसा छात्रों को वापस लौटाने का कोई सवाल ही नहीं।