अम्बाला (नस) : श्रीकृष्ण कृपा गीता मंदिर में चल रहे ‘गीता का भक्ति तत्व’ पर आयोजित सत्संग समारोह के दूसरे दिन महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मन तो सांसारिक विषयों में आसक्त रहे और ईश्वर की प्राप्ति भी हो जाए ऐसा सम्भव नहीं है। इसलिए जब मन यहां-वहां जाए तो उसे वहां से हटाकर भगवान के नाम जप में बार-बार लगाने का प्रयत्न करना ही अभ्यास है। अभ्यास में परिपक्वता आएगी, स्वत: ही भगवत प्रेम बढ़ने लगेगा। ध्यान साधना करवाते हुए उन्होंने कहा कि ध्यान दिव्य ऊर्जा का भण्डार है। कर्म तो करना आवश्यक है लेकिन अहंकार न करें। जीव को भगवान को लक्ष्य करके ही कर्म करना चाहिए तभी उसे भगवद् प्रेम की प्राप्ति हो सकती है।