दार्शनिक ब्रूस बार्टन से कुछ इतिहासकार और इतिहास के छात्र बातचीत कर रहे थे। ब्रूस बार्टन ने कहा, ‘मैं तो भारत के राजा अशोक को इतिहास की सबसे अग्रणी विभूति मानता हूं।’ एक इतिहासकार ने कहा, ‘सर! अनेक देशों में ऐसे अनेक राजा व शासक हुए हैं, जिन्होंने बड़े-बड़े राज्य जीते और उन पर सफलता के साथ लंबे समय तक शासन किया। इसके बावजूद आप भारतीय राजा अशोक को महान क्यों मानते हैं?’ बार्टन ने कहा, ‘अन्य राजाओं ने रक्तपात करके राज्य जीते। उनकी अंतरात्मा हमेशा राजसत्ता के मद में आकंठ डूबी रही। अशोक एकमात्र ऐसे राजा थे, जो दिग्विजयी और शूरवीर होते हुए भी अच्छे-बुरे के विषय में चिंतन करते थे। तभी तो एक दिन उनकी अंतरात्मा को रक्तपात करके जीते गए राज्यों के प्रति पश्चाताप की अनुभूति हुई और रक्तपात का रास्ता त्याग कर उन्होंने अहिंसा व प्रेम का जीवन जीने का संकल्प लिया। इसीलिए मैं रक्त-पिपासु राजाओं की अपेक्षा प्रेम व शांति को अंगीकार करने वाले अशोक को महानतम् शासक मानता हूं।’
प्रस्तुति : अक्षिता कुमारी