मदन गुप्ता सपाटू
खुद निर्जल रह कर दूसरों की प्यास बुझाने का नाम है निर्जला एकादशी। इस दिन जगह-जगह लोगों को तो पानी पिलाया जाता है, लेकिन पशु-पक्षियों, पौधों के प्रति अपनी जिम्मेदारी कई बार भूल जाते हैं। जानकार कहते हैं कि निर्जला एकादशी पर पर्यावरण की दृष्टि से पशु-पक्षियों को भी पानी-दाना देना चाहिये। गायों को चारा-पानी देना पुण्य का काम माना जाता है।
इस बार निर्जला एकादशी 10 जून, शुक्रवार की प्रातः 7:27 बजे आरंभ होकर 11 जून, शनिवार की सुबह 5:46 बजे तक रहेगी। ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी का क्षय होने के कारण, स्मार्त अर्थात गृहस्थ लोगों को 10 जून के दिन व्रत रखना चाहिए और वैष्णव अर्थात संन्यासी, वानप्रस्थ तथा वैष्णव सम्प्रदाय वाले लोग, 11 जून के दिन उपवास रख सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन निराहार व्रत रख कर भगवान विष्णु उपासना तथा यथाशक्ति दान करने से सभी एकादशियों के पुण्य प्राप्त हो जाते हैं। एकादशी के दिन सूर्योदय से द्वादशी का सूर्य निकलने तक जल ग्रहण न करने के विधान के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।
यह व्रत अत्यधिक श्रम-साध्य होने के साथ-साथ, कष्ट एवं संयम साध्य भी है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी पर पांडवों ने भी व्रत रखा था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसा व्रत जल के अभाव में, आपातकाल में भी जीना सिखाता है।
गर्मी से समाज के सभी वर्गों को राहत मिले, इसीलिए इन दिनों मीठे व ठंडे जल की छबीलें लगाने की प्रथा, उत्तर भारत में सदियों से चली आ रही है। इस दिन खरबूजे, पंखे , छतरियां, फल, जूते, अन्न, भरा हुआ जल कलश आदि दान करने का प्रावधान है, ताकि सबल समाज द्वारा, निर्बल और असहायों की सहायता हो और हमारे देश के जीवन दर्शन- सरबत दा भला, सर्वे भवन्तु सुखिनः को क्रियात्मक रूप में प्रचारित किया जा सके।
राशि अनुसार कर सकते हैं दान
मेष- सात अनाज या पका हुआ भोजन दान करें। गायों को जल व भोजन दें।
वृष- सफेद वस्त्रों का दान कल्याणकारी होगा। पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें।
मिथुन- हरे फल, आम, खरबूजे का दान गृहस्थी में हरियाली लाएगा।
कर्क- कहीं जल की व्यवस्था, वाटर कूलर, पंखे, कूलर का दान रोग से दूर रखेगा।
सिंह- धर्म स्थानों पर एसी या पंखे लगाने से जीवन में सुख समृद्धि एवं वृद्धि पाएंगे।
कन्या – अनाथालय या लंगर में हरी सब्जियां व खरबूजे दान करें।
तुला- इस बार निर्जला एकादशी इसी राशि में आएगी। मीठे जल या पेय की छबील लगाएं।
वृश्चिक – भगवान विष्णु का स्मरण और तरबूज का दान लाभकारी सिद्ध होगा।
धनु- पीला ठंडा केसर युक्त दूध वितरित करें।
मकर- छतरी, जल पात्र, कलश का दान बढ़ाएगा मनोबल।
कुंभ- जल से भरा कुंभ, कूलर, फ्रिज, वाटर कूलर यथाशक्ति दान करें।
मीन- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का पाठ और सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगाना आपको निरोगी काया देगा।