25 दिसंबर को गीता जयंती और क्रिसमस के अलावा साल की अंतिम एकादशी भी है। मोक्षदा नामक इस एकादशी का पुराणों में विशेष महत्व बताया गया है। कहा गया है कि यह मोक्ष दिलाने वाली है। मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की इस एकादशी का व्रत मोक्ष में सहायक है। इस एकादशी का व्रत और पूजा भी अन्य एकादशी की तरह की जाती है। सुबह स्नान के बाद आसन बिछाकर व्रत का संकल्प लें घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें। भगवान विष्णु को स्नान करवाने के बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं, फिर कथा सुनें व पढ़ें और दिन भर व्रत रखें। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। अगले दिन नहा कर, पूजा के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी 24 दिसंबर की रात 11:17 बजे से शुरू हो जाएगी और 25 दिसंबर रात 1:54 बजे तक रहेगी। यानी 25 दिसंबर के दिन एकादशी का व्रत किया जाएगा।