शिखर चंद जैन
मकर संक्रांति पर आकाश में रंग-बिरंगी पतंगों का उड़ना और लगभग हर घर की छत से ‘वो काटा’ की जोशीली आवाज आना देश के लगभग हर हिंदी भाषी क्षेत्र की एक खास पहचान है। यह पर्व प्रकृति को थैंक्स कहने का दिन है। मकर संक्रांति, उत्तरायण, पोंगल या पौष संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है और धनु राशि को छोड़कर मकर में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं, जबकि आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसे ‘संक्रांति’ कहते हैं। यह सूर्य की उपासना का पर्व है। पंजाब में एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है, जो एक मौसमी पर्व है। किसानों के लिए यह उत्साह और उल्लास का अवसर है जब हाड़ कंपाती हवाएं अलविदा होने लगती हैं और नयी फसल का समय सामने आ जाता है। इस प्रकार कुल मिलाकर यह पर्व और यह समय पूरी तरह कुदरत को समर्पित है। इसे आप कुदरत के प्रति आभार व्यक्त करने का त्योहार मान सकते हैं। इस त्योहार का दार्शनिक पहलू यह है कि सर्दियों में आलस्य में जकड़ा शरीर जरा गति पकड़ ले, ऐसे में वार्मअप के लिए कुछ भागदौड़, जरा हल्ला-गुल्ला और मौजमस्ती हो जाए। गुनगुनी धूप में पतंग उड़ाते वक्त अच्छी खासी दौड़भाग, मौजमस्ती और शोरगुल हो जाता है। खानपान भी हो जाता है और परिजनों के साथ हंसी-ठट्ठा भी हो जाता है।
सूरज के सान्निध्य का दिन : हमारी मान्यताओं और परंपराओं के वैज्ञानिक कारण होते हैं। जब हम छत या मैदान में खड़े होकर खुले आसमान के नीचे पतंग उड़ाते हैं, तो सूर्य की किरणें सीधे हम पर पड़ती हैं। संक्रांति पर जब सूर्य एक गोलार्द्ध से दूसरे गोलार्द्ध की यात्रा कर रहा होता है, तो इस दिन इसकी किरणों का सकारात्मक औषधीय प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है। सर्दियों में जब हम अक्सर सर्दी-जुकाम से पीड़ित रहते हैं, ऐसे में इन किरणों से हमारी सेहत पर अच्छा असर होता है।
कुछ अलग खाने का अवसर : मकर संक्रांति के अवसर पर हम आम दिनों से हटकर कुछ अलग खाते हैं। वर्ष के दूसरे दिनों में तिल और गुड़ से बने व्यंजनों की पूछ-परख नहीं होती, लेकिन इन दिनों हम मूंगफली और गुड़ से बनी चिक्की, तिलकुट्टा और तिलगुड़ से बने व्यंजन खूब पसंद करते हैं। महाराष्ट्र में गन्ने की पहली फसल आने के कारण इस दिन घर-घर में तिल-गुड़ बनाकर खाया जाता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई राज्यों में दाल चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ से बनी गजक, रेवड़ी आदि खाने का रिवाज है। पश्चिम बंगाल में चावल के आटे और खजूर गुड़ से बने पीठे, पुली और पातीशाप्ता मिठाइयां खाई खिलाई जाती हैं।
पुण्य प्राप्ति और दान का मौका : हिंदू संस्कृति में इस दिन दान करने का रिवाज है। गरीबों, ब्राह्मणों आदि को अपनी आर्थिक शक्ति के मुताबिक खुलकर तिल गुड़ से बना मीठा, चावल-दाल, चिवड़ा, कपड़े, नकदी आदि दान किया जाता है।