अंग्रेज सरकार नाना साहब को अपने लिये बहुत बड़ा खतरा मानती थी। एक बार नाना ने कानपुर के किले से 27 जून, सन् 1857 को अंग्रेज कंपनी का झंडा उतरवा फेंका। अंत में जब अपनी हार स्वीकार कर अंग्रेजी फौज के जनरल व्हीलर ने संधि के लिए किले पर झंडा लहरा दिया तो नाना साहब ने आदेश करके तुरंत युद्ध बंद कर दिया। उसके बाद जब अंग्रेजों ने संधि वार्ता अपनी अंग्रेजी भाषा में शुरू की तो नाना साहब ने हस्तक्षेप कर कहा, ‘समझौता वार्ता हमारे देश की हिंदी भाषा में होगी, अंग्रेजी में नहीं।’ तब हिंदी में ही संधि वार्ता हुई।
प्रस्तुति : मनीषा देवी