मदन गुप्ता सपाटू
सावन का हर दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। आप प्रत्येक दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सावन में सोमवार व्रत हो या फिर मंगला गौरी व्रत, दोनों ही शिव और शक्ति का आशीष प्राप्त करने का साधन हैं। यदि आप किन्हीं कारणों से ये व्रत नहीं कर पाते, तो आप सावन शिवरात्रि का व्रत रख सकते हैं। मान्यता के अनुसार यह व्रत रखने और इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से शांति, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही हो, उन्हें सावन की शिवरात्रि का व्रत जरूर रखना चाहिए। इसके अलावा जो लोग विवाहित हैं, वे इस व्रत को रखें, तो उनके वैवाहिक जीवन के संकट दूर होते हैं। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि व्रती के पाप नष्ट कर देती है।
मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। उससे एक दिन पहले प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार सावन की चतुर्दशी 6 अगस्त को शाम 06 बजकर 28 मिनट पर शुरू होकर 7 अगस्त की शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। शिवरात्रि का व्रत 6 अगस्त को रखा जाएगा। अगले दिन 7 अगस्त की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट के बीच व्रत का पारण कर सकते हैं। स्नान के बाद व्रत पारण करें और सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद को दान दें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के दिन निशीथ काल पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। निशीथ काल करीब 43 मिनट का है, जो 6 अगस्त की रात 12 बजकर 06 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यदि आप निशीथ काल में पूजा नहीं कर सकते तो इन शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं-
शाम 07:08 बजे से रात 09:48 बजे तक
रात 09:48 बजे से देर रात 12:27 बजे तक
देर रात 12:27 बजे से तड़के 03:06 बजे तक
07 अगस्त को तड़के 03:06 बजे से सुबह 05:46 बजे तक