कोलंबो, 19 अप्रैल (एजेंसी)
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने और संसद को सशक्त बनाने के लिए संविधान में 19वें संशोधन को बहाल करने का एक प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया। यह प्रस्ताव ऐसे समय में पेश किया गया है, जब श्रीलंका अप्रत्याशित आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
पारंपरिक सिंहली और तमिल नव वर्ष के बाद संसद को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक आधार पर विभिन्न संकटों का समाधान खोजा जाए। प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा, ‘मेरा मानना है कि संविधान में संशोधन जरूर होना चाहिए। इसकी शुरुआत के तौर पर, 19वें संशोधन को आवश्यक एवं समयबद्ध परिवर्तनों के साथ लागू करना, देश की मौजूदा स्थिति के लिए सबसे अच्छा अल्पकालिक समाधान है।’ उन्होंने संसद से कहा, ‘मेरा मानना है कि 19ए को कुछ संशोधनों के साथ एक अल्पकालिक समाधान के रूप में बहाल किया जा सकता है।’ वर्ष 2015 में अपनाया गया 19ए राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करता है और संसद को कार्यकारी राष्ट्रपति से अधिक शक्तियां देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राष्ट्रपति के आशीर्वाद से हमें भविष्य में व्यापक संवैधानिक सुधार की ओर बढ़ना चाहिए।’ संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना ने सदन को बताया कि मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर करने को लेकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान तलाशने के लिए कल एक विशेष बैठक की गई थी। अभयवर्धना ने कहा, ‘कई पार्टी नेताओं ने एक दीर्घकालिक उपाय के रूप में एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने और संविधान में 21वें संशोधन को एक अल्पकालिक समाधान के रूप में लाकर संसद को मजबूत करने का आह्वान किया है।’
मेरी गलतियों से देश आर्थिक संकट में घिरा : राजपक्षे
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने स्वीकार किया है कि उन्होंने गलतियां कीं, जिसके कारण देश दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट से घिर गया। राष्ट्रपति ने अपनी गलतियों को सुधारने का संकल्प भी लिया। राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नयी कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके परिवार की ओर से एकमात्र सदस्य हैं। राष्ट्रपति ने नयी कैबिनेट के समक्ष अपनी गलती स्वीकारी।