Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Brahmaputra River : ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले बांध से भारत में पानी का प्रवाह नहीं होगा प्रभावित, चीन की आई प्रतिक्रिया

जलविद्युत परियोजना के निर्माण का गहन वैज्ञानिक सत्यापन किया गया
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

बीजिंग, 6 जनवरी (भाषा)

चीन ने भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना को लेकर कहा कि प्रस्तावित परियोजना गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजर चुकी है। नदी प्रवाह के निचले इलाकों में स्थित भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। लगभग 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं।

Advertisement

चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यहां प्रेस वार्ता में बताया कि यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे जलविद्युत परियोजना के निर्माण का गहन वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है। इससे निचले हिस्से में स्थित देशों के पारिस्थितिकी पर्यावरण, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

भारत ने बांध पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन के साथ भारतीय अधिकारियों की वार्ता में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इस बारे में पूछे जाने पर जियाकुन ने कहा कि यह कुछ हद तक आपदा की रोकथाम और जोखिम कम करने तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में अनुकूल कदम होगा।

वर्तमान में दिल्ली के दौरे पर आए सुलिवन ने सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत की और जो बाइडन प्रशासन के तहत पिछले चार वर्षों में भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की व्यापक समीक्षा की। सुलिवन अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से दो सप्ताह पहले भारत की यात्रा पर हैं।

पिछले महीने, चीन ने तिब्बत में भारतीय सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर यारलुंग जांगबो नामक एक बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। योजना के अनुसार, विशाल बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा, जहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में पहुंचती है। प्रस्तावित बांध पर तीन जनवरी को अपनी पहली प्रतिक्रिया में, भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह वाले निचले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में मीडिया से कहा, ‘‘हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।''जायसवाल ने कहा, ‘‘नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में जल के उपयोग का अधिकार रखने वाले देश के रूप में, हमने विशेषज्ञ स्तर के साथ-साथ कूटनीतिक माध्यम से, चीनी पक्ष के समक्ष उसके क्षेत्र में नदियों पर बड़ी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार और चिंताएं लगातार व्यक्त की हैं।''हालिया रिपोर्ट के बाद, इन बातों को दोहराया गया है। साथ ही, नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ पारदर्शिता बरतने और परामर्श की जरूरत बताई गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष से आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुचे।''इससे पहले, 27 दिसंबर को विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की चीन की योजना का बचाव करते हुए कहा था कि परियोजना का नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। चीन नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ संवाद जारी रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण व राहत पर सहयोग बढ़ाएगा।

Advertisement
×