Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

शशि थरूर ने प्रमुख संसदीय समितियों की अध्यक्षता Opposition को देने की अनिच्छा पर सरकार को घेरा

नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने महत्वपूर्ण संसदीय समितियों की अध्यक्षता विपक्ष को देने में सरकार की 'अनिच्छा' को लेकर मंगलवार को उस पर निशाना साधा और कहा कि यह 10 साल...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
शशि थरूर
Advertisement

नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने महत्वपूर्ण संसदीय समितियों की अध्यक्षता विपक्ष को देने में सरकार की 'अनिच्छा' को लेकर मंगलवार को उस पर निशाना साधा और कहा कि यह 10 साल के शासन के बाद समझ या आत्मविश्वास पैदा होने के बजाय सरकार की बढ़ती असुरक्षा को दर्शाता है।

Advertisement

तिरुवनंतपुरम से चार बार के सांसद थरूर ने ये टिप्पणियां उस मीडिया रिपोर्ट के बाद की हैं, जिसमें दावा किया गया है कि विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समितियों का गठन इसलिए नहीं किया गया क्योंकि इन समितियों पर नियंत्रण को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद हैं।

थरूर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह निराशाजनक है कि सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं है कि संसदीय समितियों का उद्देश्य सरकार के लिए समीक्षा और जवाबदेही की एक अतिरिक्त व्यवस्था प्रदान करना है, जिसमें वह राजनीतिक दिखावा नहीं होता जो संसद के सार्वजनिक रूप से प्रसारित सत्रों के साथ अक्सर जुड़ा होता है।

विपक्षी दलों को किसी भी तरह की बात कहने से वंचित करने का प्रयास

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'राष्ट्रीय महत्व और संवेदनशीलता के मामलों में विपक्षी दलों को किसी भी तरह की बात कहने से वंचित करने का प्रयास, ऐसी समितियों के गठन के मूल उद्देश्य को ही पराजित करना है।' उन्होंने कहा, 'यह आश्चर्यजनक है कि 2014 में जब वे (भाजपा) पहली बार सत्ता में आए तो तत्कालीन भाजपा सरकार ने मौजूदा परंपरा को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को विदेश मामलों की समिति (मुझे स्वयं) और वित्त समिति (वीरप्पा मोइली) दोनों की अध्यक्षता दी जबकि हमारे पास केवल 44 सांसद थे।'

यह सरकार की बढ़ती असुरक्षा को दर्शाता है

थरूर ने कहा, 'आज हमारे पास 101 सांसद हैं और वे हमें कोई भी महत्वपूर्ण समिति देने के इच्छुक नहीं हैं?' उन्होंने कहा कि इससे उनकी मानसिकता में दुखद बदलाव का पता चलता है और यह सरकार में 10 साल रहने के बाद पैदा हुई समझ या आत्मविश्वास को नहीं, बल्कि उनकी बढ़ती असुरक्षा को दर्शाता है।

विदेश नीति पर पड़ेगा असर

थरूर ने कहा कि संयोग से संसदीय समितियों के पूरे इतिहास में विदेश मामलों का नेतृत्व हमेशा विपक्षी सांसद ही करते रहे हैं, लेकिन 2019 में पहली बार ऐसा हुआ कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के सांसद को इसका कार्यभार संभालने के लिए कहा गया। थरूर ने कहा, 'इससे बाहरी दुनिया को क्या संकेत मिलता है, जहां हमने विदेश नीति पर हमेशा एकजुट चेहरा पेश किया है?'

पिछले महीने लोकसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन जारी कर संसदीय समितियों के गठन की घोषणा की थी। लोक लेखा समिति, सार्वजनिक उपक्रमों संबंधी समिति, प्राक्कलन समिति, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति, लाभ के पदों संबंधी संयुक्त समिति तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के कल्याण संबंधी समिति का गठन इस बार बिना चुनाव के किया गया है। लोकसभा अध्यक्ष ने अभी तक विभाग-संबंधी स्थायी समितियों का गठन नहीं किया है जो विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के कामकाज पर नजर रखती है।

Advertisement
×