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'नाड़ा खींचना व स्तन छूना रेप नहीं...' वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के कमेंट पर SC की कड़ी टिप्पणी

Allahabad High Court controversial comment: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले पर लगाई रोक
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नई दिल्ली, 26 मार्च (एजेंसी)

Allahabad High Court controversial comment: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के अपराध की श्रेणी में नहीं आता।

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सुप्रीम कोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस फैसले को बेहद गंभीर और असंवेदनशील करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह निर्णय लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की पूर्ण कमी को दर्शाता है।"

न्यायिक असंवेदनशीलता पर सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को समाज में गलत संदेश देने वाला बताया और कहा कि "ऐसे मामलों में अदालतों को अधिक सतर्क और संवेदनशील रहने की जरूरत है, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।"

महिला अधिकार संगठनों में आक्रोश

बता दें, इस फैसले के खिलाफ कई महिला संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह फैसला लैंगिक अपराधों को कमतर आंकने जैसा है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

क्या था हाईकोर्ट का फैसला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उपरोक्त कृत्य बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता, जिससे आरोपी को राहत मिल गई थी। इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई थी और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

बलात्कार को लेकर विवादित आदेश देने वाले न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई हो: भाजपा सांसद

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मुकेश राजपूत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के उस आदेश से जुड़ा विषय बुधवार को लोकसभा में उठाया और उसकी निंदा की जिसमें कहा गया था कि ‘‘लड़की के केवल निजी अंग को पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का अपराध नहीं है।''

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से लोकसभा सदस्य ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और सरकार से आग्रह किया कि इस तरह की टिप्पणियों के लिए इस तरह के लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणी से देश के 140 करोड़ लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और महिलाएं असहज महसूस कर रही हैं। ऐसे लोगों को देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।'' राजपूत ने सरकार से आग्रह किया, ‘‘ऐसे लोगों के खिलाफ संविधान के दायरे में कार्रवाई की जाए।''

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले दिनों यौन अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक लड़की का निजी अंग पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा अपराध धारा 354 (बी) (किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

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