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राहुल गांधी ने नए CEC के चयन पर उठाए सवाल, बताया इसका कारण

CEC Gyanesh Kumar: चयन समिति की बैठक में भी जताई थी आपत्ति
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राहुल गांधी।-ट्रिब्यून फाइल फोटो
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नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा)

CEC Gyanesh Kumar: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ऐसे समय मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का निर्णय आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गरिमा के प्रतिकूल है, जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है।

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प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को आयोजित चयन समिति की बैठक के बाद ज्ञानेश कुमार को भारत के नए सीईसी के रूप में नियुक्त किया गया। इस समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल हैं।

राहुल गांधी ने अपने असहमति नोट की प्रति साझा करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, "अगले मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए हुई समिति की बैठक के दौरान मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब आंबेडकर और हमारे राष्ट्र निर्माता नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं। "

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में नए सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को निर्णय लेना प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की गरिमा के प्रतिकूल और असभ्य दोनों है, जब समिति की संरचना और प्रक्रिया को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है।

26वे सीईसी के रूप में कल शपथ लेंगे ज्ञानेश कुमार

केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और राम मंदिर ट्रस्ट के गठन संबंधी सरकार के कदमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ज्ञानेश कुमार बुधवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) का पदभार ग्रहण करेंगे।

कुमार जनवरी 2024 में सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए और मार्च 2024 में उन्हें निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। राजीव कुमार के मंगलवार शाम को सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद वह 26वें सीईसी के रूप में शपथ लेंगे। कुमार को सुखबीर सिंह संधू के साथ एक ही दिन निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। दोनों ही 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान आयोग का हिस्सा थे।

कुमार, निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए बने नए कानून के तहत इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले सीईसी हैं। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा। इसके कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग द्वारा अगले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा किए जाने की संभावना है।

कानून के मुताबिक सीईसी और निर्वाचन आयुक्तों को 65 साल की उम्र होने या आयोग में छह साल की सेवा पूरी करने में से जो भी पहले हो, सेवानिवृत्त होना पड़ता है। ज्ञानेश कुमार 27 जनवरी, 2029 को 65 साल के हो जाएंगे। सीईसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, कुमार इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनावों और 2026 में केरल और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों की देखरेख करेंगे।

इसी तरह, वह तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों की देखरेख करेंगे, जो 2026 में होने वाले हैं। विभिन्न विधानसभा चुनावों के अलावा, वह 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों की निगरानी भी करेंगे। कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी के रूप में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के बाद फैसलों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद राम मंदिर ट्रस्ट की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि उन्होंने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की नियमित निगरानी की थी। उनकी नियुक्ति की घोषणा सोमवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के नाम तय करने वाली समिति की बैठक के कुछ देर बाद की गई।

कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। कुमार ने कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक. पूरा करने के बाद आईसीएफएआई में बिजनेस फाइनेंस और अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एचआईआईडी में पर्यावरण अर्थशास्त्र का अध्ययन किया।

उन्होंने केरल सरकार में एर्णाकुलम के सहायक जिलाधिकारी, अडूर के उपजिलाधिकारी, एससी/एसटी के लिए केरल राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक, कोचीन निगम के नगर आयुक्त के अलावा अन्य पदों पर भी काम किया है। केरल सरकार के सचिव के रूप में कुमार ने वित्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं और लोक निर्माण विभाग जैसे विविध विभागों को संभाला। भारत सरकार में उन्हें रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में काम करने का समृद्ध अनुभव है।

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