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Pooja Khedkar: हाई कोर्ट ने UPSC के झूठी गवाही के दावे पर पूजा खेडकर का जवाब मांगा

खेडकर पर है सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी व दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाने का आरोप
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नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा)

Pooja Khedkar: दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के उन आरोपों पर पूर्व ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर से जवाब मांगा है जिसमें कहा गया है कि खेडकर ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका के संबंध में गलत बयान देकर झूठी गवाही दी।

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न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने आयोग के आवेदन पर खेडकर से जवाब दाखिल करने को कहा। UPSC ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर कार्यवाही के संदर्भ में यह आवेदन दायर किया है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने खेडकर के वकील से कहा, मैं नोटिस जारी करूंगा। आप अपना जवाब दाखिल करें।

न्यायमूर्ति ने मामले को 26 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एवं दिव्यांगता आरक्षण का लाभ उठाने का आरोप है। खेडकर ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है।

वकील वर्धमान कौशिक की ओर से दायर अपने आवेदन में UPSC ने कहा कि खेडकर ने हलफनामे में अपने जवाब में 'बिल्कुल गलत' बयान दिया है कि आयोग ने व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान उसके ‘बायोमेट्रिक्स' एकत्रित किए थे। इस उल्लंघन के लिए खेडकर के खिलाफ जांच और उचित कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध करते हुए आवेदन में आरोप लगाया गया है कि हाई कोर्ट में लंबित एक अन्य कार्यवाही में भी खेडकर ने 'झूठी गवाही' दी है, जो भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध है।

UPSC की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा कि उनका आचरण 'घातक और गलत' है। आवेदन में कहा गया है, 'यह दावा कि आयोग ने उनके ‘बायोमेट्रिक्स एकत्रित किए, पूरी तरह से गलत है और ऐसा इस माननीय न्यायालय को धोखे में रखकर मनोनुकूल आदेश प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया है।

चूंकि उनके व्यक्तित्व परीक्षण या इसके आधार पर किए गए किसी भी तरह के सत्यापन के प्रयास के तहत आयोग ने उनका कोई ‘बायोमेट्रिक' (आंखों और उंगलियों का) एकत्र नहीं किया है इसलिए इस दावे को खारिज किया जाता है। आयोग ने अब तक हुई सिविल सेवा परीक्षाओं में व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई ‘बायोमेट्रिक' सूचना एकत्रित नहीं की है।'

UPSC ने कहा, 'इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई संदेह नहीं है कि सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का आचरण झूठी गवाही देने के समान है।' दूसरी ओर खेडकर के वकील ने इस आवेदन को 'दबाव की रणनीति' करार दिया। खेडकर ने कथित रूप से आरक्षण का लाभ पाने के लिए UPSC सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में गलत सूचना दी। हाई कोर्ट इससे पहले मामले में उन्हें अग्रिम जमानत दे चुका है।

UPSC और दिल्ली पुलिस दोनों ने अग्रिम जमानत की उनकी याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया है। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से 'गहरी साजिश' की जांच में बाधा उत्पन्न होगी और इस मामले का जनता के विश्वास के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की ईमानदारी पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

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