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Parliament session: कई दिनों बाद सामान्य हुआ कामकाज, अखिलेश यादव ने उठाया संभल मामला

कहा- घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को निलंबित किया जाए
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सदन में अपनी बात रखते अखिलेश यादव। फोटो स्रोत संसद टीपी एक्स अकाउंट
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नयी दिल्ली, 3 दिसंबर (भाषा)

Parliament session: कई दिनों तक हंगामे के बाद मंगलवार को संसद के दोनों सदनों राज्यसभा व लोकसभा में सामान्य रूप से कामकाज शुरू हो गया और सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाए। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले दिनों हुई हिंसा को ‘सोची-समझी साजिश' करार देते हुए मंगलवार को लोकसभा में मांग की कि घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उन पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए।

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कन्नौज से सपा सांसद अखिलेश यादव ने निचले सदन में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा, ‘‘संभल में पिछले दिनों अचानक हुई हिंसा की घटना को सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। संभल में सालों से लोग भाईचारे से रहते आए हैं। इस घटना से इस भाईचारे को ‘गोली मारने' का काम किया गया।''

उन्होंने संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वे का जिक्र करते हुए इस तरह की घटनाओं के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। यादव ने कहा, ‘‘देश के कोने-कोने में भाजपा और उसके सहयोगी, समर्थक और शुभचिंतक बार-बार ‘खुदाई' की बात करते हैं जिससे देश का सौहार्द, भाईचारा और गंगा-जमुनी तहजीब खो जाएगी।''

उन्होंने दावा किया कि एक बार स्थानीय अदालत के आदेश पर संभल की शाही जामा मस्जिद के अंदर सर्वे का काम पूरा कर चुके पुलिस और प्रशासन के अधिकारी कुछ दिन बाद दोबारा सर्वे के लिए पहुंच गए और उनके पास अदालत का कोई आदेश नहीं था।

यादव ने आरोप लगाया कि इस दौरान सूचना मिलने पर मस्जिद पहुंच गए स्थानीय लोगों ने जब कार्रवाई का कारण जानना चाहा तो पुलिस क्षेत्राधिकारी ने बदसलूकी की और नाराज होकर कुछ लोगों ने पथराव कर दिया जिसके बाद पुलिस गोलीबारी में पांच मासूम मारे गए।

उन्होंने कहा, ‘‘संभल का माहौल बिगाड़ने में सर्वे की याचिका दायर करने वाले लोगों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के लोग जिम्मेदार हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए और उन पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए।''

यादव ने कहा, ‘‘हम यूं ही नहीं कहते कि सरकार संविधान को नहीं मानती।'' कांग्रेस के उज्ज्वल रमण सिंह ने भी शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि संभल को इंसाफ मिलना चाहिए और पूरे घटनाक्रम की जांच उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश के नेतृत्व में कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।'' इससे पहले सपा समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने संभल में हिंसा की घटना के विरोध में प्रश्नकाल के दौरान सदन से वॉकआउट किया।

बिरला ने बालू से कहा: क्या आप उप्र, उत्तराखंड और गुजरात में द्रमुक का विस्तार करना चाहते हैं

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान द्रमुक नेता टी आर बालू से चुटीले अंदाज में सवाल किया कि क्या वह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं। उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की जब बालू ने मनरेगा से जुड़ा पूरक प्रश्न पूछा। बालू ने इस मुद्दे को उठाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में मनरेगा का मानदेय कम होने का दावा किया।

इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘क्या बालू जी, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात में पार्टी का विस्तार करना चाह रहे हो?'' मनरेगा से जुड़े पूरक प्रश्न पूछे जाने के दौरान बिरला ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी पर भी व्यंग्यात्मक अंदाज में टिप्पणी की। प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने के लिए आसन से नाम पुकारे जाने पर जब बनर्जी खड़े नहीं हुए जो बिरला ने कहा, ‘‘थोड़ा कानों को ठीक रखो कल्याण बाबू।''

पश्चिम बंगाल में मनरेगा बजट का दुरुपयोग, ‘अपात्रों' को लाभ पहुंचाने का अपराध हुआ: चौहान

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी' (मनरेगा) योजना के तहत बजट आवंटन का दुरुपयोग किया गया तथा ‘अपात्र' लोगों को लाभ पहुंचाने का अपराध किया गया है। चौहान ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के पूरक प्रश्न पूछे जाने के बाद यह टिप्पणी की। बनर्जी ने पूरक प्रश्न पूछते हुए आरोप लगाया कि मनरेगा के बजट आवंटन में पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उसे देय राशि रोकी गई।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद के पूरक प्रश्न के उत्तर में चौहान ने कहा, ‘‘यह राशि निश्चित उद्देश्यों के लिए होती है। यदि राशि निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति में खर्च नहीं की जाती तो इसे रोका जा सकता है। '' उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ निश्चित लोगों को लाभ पहुंचाने का अपराध पश्चिम बंगाल में किया गया। चौहान ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में पात्रों को अपात्र और अपात्रों को पात्र कर दिया गया है। यह साबित हो गया...ग्रामीण विकास योजनाओं का नाम बदल दिया गया, जबकि नाम नहीं बदला जा सकता।''

उनका कहना था, ‘‘यह राशि दुरुपयोग के लिए नहीं है। जो गड़बड़ की गई, उस पर पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रभावी कार्रवाई नहीं की।'' मंत्री ने कहा, ‘‘(केंद्र में) उधर (कांग्रेस) की सरकार थी तो राशि की बंदरबाट होती थी, लेकिन यह मोदी की सरकार में नहीं होता है। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी जी कहते हैं कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा।''

उनके जवाब के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने टोकाटोकी की। मनरेगा से जुड़े कुछ पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि धन के आवंटन की कमी की बात गलत है तथा मानदेय कम होने की बात भी गलत है क्योंकि इसका निर्धारण महंगाई से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के बजट में हर साल 10-20 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई।

कई दिनों के हंगामे के बाद मंगलवार को राज्यसभा में हुआ सामान्य कामकाज

कई दिनों तक हंगामे के बाद मंगलवार को राज्यसभा में सामान्य रूप से कामकाज शुरू हो गया और सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाए। शुरुआती हंगामे के बाद सदन में शून्यकाल संपन्न हुआ और उसके बाद प्रश्नकाल लिया गया। राज्यसभा में 25 नवंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से कोई खास कामकाज नहीं हो पाया था क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा सहित कई मुद्दों पर हंगामा किया। समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को शून्यकाल (सुबह के सत्र) के दौरान सदन से बहिर्गमन किया।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी कुछ देर के लिए सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले, सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत 42 नोटिस मिले हैं, जो संविधान को अपनाने की सदी की अंतिम तिमाही में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। उन्होंने किसी भी नोटिस को स्वीकार नहीं किया।

धनखड़ ने बताया कि सांसदों में से एक ने नियम 267 के तहत एक से अधिक नोटिस दिए। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि नियम 267 के नोटिस पर विचार करने से पहले ही एक सदस्य ने इसे सार्वजनिक कर दिया। सभापति ने इसे प्रावधानों की अवहेलना करार दिया और कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को विभिन्न दलों के नेताओं के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने सदस्यों से उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया।

बाद में, सदन ने शून्यकाल के उल्लेखों के साथ कार्यवाही शुरू की, जिनमें सभापीठ की पूर्व अनुमति से मुद्दे उठाए जाते हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एम मोहम्मद अब्दुल्ला और एमडीएमके के वाइको ने तमिलनाडु में फेंगल चक्रवात के कारण हुए नुकसान के मुद्दे को उठाया। समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा का मुद्दा उठाया।

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