Pahalgam Attack: पाकिस्तान के खिलाफ भारत के रुख से सकते में अमेरिका, तनाव बढ़ाने से बचने का आग्रह
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 30 अप्रैल (भाषा)
Pahalgam Attack: पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए कड़े निर्णयों और सेना को दी गई खुली छूट से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है। विशेषकर अमेरिका ने इस पर गहरी चिंता जताई है और दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव को लेकर सतर्कता दिखाई है।
भारतीय सेना को पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए पूर्ण संचालनिक स्वतंत्रता दिए जाने के बाद अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान को "संघर्ष को और नहीं बढ़ाना चाहिए।"
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने संकेत दिया है कि वे आज या कल भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत करेंगे। उनका उद्देश्य है कि क्षेत्र में शांति बनी रहे और हालात नियंत्रण से बाहर न जाएं।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत ने न सिर्फ सिंधु जल संधि को निलंबित किया, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को त्वरित और कठोर प्रतिक्रिया के निर्देश भी दिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि अमेरिका ‘‘कश्मीर की स्थिति के बारे में'' भारत और पाकिस्तान दोनों से संपर्क कर रहा है और उनसे तनाव नहीं बढ़ाने का अनुरोध कर रहा है। ब्रूस ने कहा कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो के ‘‘आज या कल पाकिस्तान और भारत के विदेश मंत्रियों से बात करने की उम्मीद है। वह अन्य देशों के नेताओं और विदेश मंत्रियों को इस मुद्दे पर देशों (भारत-पाकिस्तान) से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।''
ब्रूस ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने बताया है कि हर दिन कदम उठाए जा रहे हैं। इस मामले में विदेश मंत्री भारत और पाकिस्तान में अपने समकक्षों से सीधे बात कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।'' पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने टिप्पणी की थी कि पाकिस्तान ‘‘अमेरिका के लिए यह नापाक काम करता रहा है''।
आसिफ की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर ब्रूस ने कहा, ‘‘मैं फिलहाल यही कह सकता हूं कि विदेश मंत्री दोनों देशों के विदेश मंत्रियों से बात करने जा रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम उस क्षेत्र में सभी क्षेत्रों में हो रहे घटनाक्रमों पर भी नजर रख रहे हैं और हम न केवल विदेश मंत्री स्तर पर, बल्कि कई स्तरों पर भारत और पाकिस्तान की सरकारों के साथ संपर्क में हैं। हम, निश्चित रूप से, सभी पक्षों को एक जिम्मेदार समाधान के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। दुनिया इस पर नजर रख रही है। लेकिन मेरे पास इस संबंध में कोई अतिरिक्त विवरण नहीं है।''
कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादियों की गोलीबारी में 26 लोग मारे गए, जो 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला था। पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सहयोगी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बीच नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को एक बैठक में शीर्ष रक्षा अधिकारियों से कहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत को कैसे जवाब देना है, उसके लक्ष्य क्या हैं और इसे कब अंजाम देना है, इस पर निर्णय लेने के लिए सशस्त्र बलों को ‘‘अभियान के संचालन की पूरी स्वतंत्रता'' है।
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से यह बयान आया है। उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। इस दौरान मोदी ने कहा कि आतंकवाद को करारा जवाब देना राष्ट्रीय संकल्प है। मोदी ने सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा और विश्वास जताया।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 अप्रैल को कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनाव रहा है और दोनों देश इसे आपस में ‘‘किसी न किसी तरह'' सुलझा लेंगे। पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने ये टिप्पणियां कीं। ट्रंप ने रोम जाते समय अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक वाहक ‘एयरफोर्स वन' में पत्रकारों के साथ प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘मैं भारत और पाकिस्तान के बहुत करीब हूं। वे कश्मीर में 1,000 साल से, शायद उससे भी ज्यादा समय से संघर्ष कर रहे हैं। कल का मामला बहुत बुरा था; वह बहुत बुरा था। कई लोग मारे गए।''
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से टेलीफोन पर अलग-अलग बात की और पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। ‘एक्स' पर एक पोस्ट में जयशंकर ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस का फोन आया। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की उनकी स्पष्ट निंदा की सराहना करता हूं। जवाबदेही के महत्व पर सहमत हुए। भारत का संकल्प है कि इस हमले के अपराधियों, साजिश रचने वालों और इनके आकाओं को न्याय के कठघरे में लाया जाए।''
महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि टेलीफोन पर हुई बातचीत में गुतारेस ने इन हमलों के लिए कानूनी तरीकों से न्याय और जवाबदेही का पालन करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर भी अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि टकराव के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने किसी भी तरह के तनाव को कम करने के प्रयासों का समर्थन करने की पेशकश की। महासभा के अध्यक्ष कार्यालय की प्रवक्ता शेरोन बिर्च ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग भी भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से ‘‘गहरे चिंतित'' हैं।
यांग ने जम्मू कश्मीर में हुए हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और ‘‘इस बात पर जोर दिया कि आम नागरिकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है और इसे किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और कूटनीतिक तरीकों से इस विवाद को सुलझाने का आह्वान किया।''