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विपक्ष के विरोध के बीच ओम बिरला ने सदन में किया आपातकाल का जिक्र

कहा- आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय
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18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान सदन के अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला अपने आसन पर। पीटीआई फोटो
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नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा)

Om Birla: दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने विपक्ष के विरोध के बीच सदन में आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया।

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को सदन को संबोधित करते हुए कहा कि सभी सदस्यों को संसदीय परंपराओं के अनुरूप सामूहिक रूप से राष्ट्रहित के लिए काम करना चाहिए तथा सड़क और संसद में विरोध के अंतर को समझते हुए सहमति-असहमति व्यक्त करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पुन: इस महान सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में दायित्व निर्वहन करने का अवसर प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद, सभी दलों के नेताओं और सभी सदस्यों का हार्दिक आभार।''

बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी है और पिछले एक दशक में देश की जनता की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सबका दायित्व हो जाता है कि जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हम सामूहिक प्रयास करें। हम रचनात्मक चिंतन और नूतन विचारों के साथ काम करें। उच्चकोटि की संसदीय परंपराएं स्थापित हों। पक्ष, विपक्ष की मर्यादित सहमति-असहमति की अभिव्यक्ति हो। देश में ज्वलंत मुददों पर सार्थक चर्चा, संवाद हो। हम विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की इच्छाशक्ति के साथ काम करें।''

उन्होंने कहा, ‘‘सदन में सभी तरह के विचार आने चाहिए। सहमति-असहमति लोकतंत्र की ताकत है। सभी सदस्यों की विचारधारा अलग है लेकिन देश सर्वोपरि है। मेरी अपेक्षा है कि सभी की सहमति से सदन चलाऊं और एक सदस्य वाले दल को भी पर्याप्त मौका मिले।''

बिरला ने कहा, ‘‘मैं कभी किसी सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहता, लेकिन आप भी संसदीय परंपराओं का ध्यान रखें। संसद के विरोध में और सड़क के विरोध में अंतर होना चाहिए। विरोध के तरीके को संसद की मर्यादा के अनुरूप अपनाएं।''

उन्होंने कहा कि व्यवधान लोकसभा की परंपरा का हिस्सा नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में उन्हें कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करनी पड़ेगी। बिरला ने कहा कि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में देश के 64 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने भौगोलिक चुनौतियों और मौसम संबंधी विषमताओं के बावजूद उत्साह से भाग लिया जिसके लिए जनता आभार की अधिकारी है।

उन्होंने निर्वाचन आयोग को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर बिरला ने लोकसभा के पूर्व अध्यक्षों को भी याद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पिछले पांच साल में कोशिश की कि सभी सदस्यों को पर्याप्त समय और अवसर मिले। सदन की कार्य उत्पादकता भी अधिकतम रही। मुझे प्रसन्नता है कि इस लोकसभा में 281 सदस्य पहली बार चुनकर आए हैं। सदन की ओर से सभी का अभिनंदन।''

बिरला ने कहा, ‘‘आशा है कि निर्वाचित नए सदस्य सदन के नियमों, परंपराओं, परिपाटियों का गहन अध्ययन करेंगे और वरिष्ठ सहयोगियों के अनुभव का लाभ उठाकर संसदीय परंपरराओं का पालन करेंगे।''

उन्होंने कहा, ‘‘सभी सदस्यों से आग्रह है कि 18वीं लोकसभा में भी संविधान निर्माताओं को याद करते हुए राष्ट्रहित एवं लोक कल्याण में ऐसे कानून तथा नीतियां बनाएं कि समाज के शोषित एवं पीड़ित व्यक्ति का उत्थान हो।''

बिरला ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने पिछले दो दिन में सदन की कार्यवाही के संचालन के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) भर्तृहरि महताब, उनके पैनल के सदस्यों राधामोहन सिंह तथा फग्गन सिंह कुलस्ते का भी आभार व्यक्त किया।

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