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Anna University Rape Case: दोषी को बिना किसी छूट के न्यूनतम 30 साल तक आजीवन कारावास

चेन्नई, 2 जून (भाषा) Anna University Rape Case: चेन्नई की एक महिला अदालत ने पिछले साल दिसंबर में अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दोषी करार दिए गए ज्ञानशेखरन को सोमवार को बिना...
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चेन्नई में अन्ना विश्वविद्यालय यौन उत्पीड़न मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद पुलिस दोषी को ले जाती हुई। पीटीआई फाइल
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चेन्नई, 2 जून (भाषा)

Anna University Rape Case: चेन्नई की एक महिला अदालत ने पिछले साल दिसंबर में अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दोषी करार दिए गए ज्ञानशेखरन को सोमवार को बिना किसी छूट के न्यूनतम 30 साल तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। महिला अदालत की न्यायाधीश एम. राजलक्ष्मी ने 28 मई को ज्ञानशेखरन को मामले में दोषी ठहराया था।

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न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष द्वारा उसके खिलाफ साबित किए गए प्रत्येक 11 आरोपों के संबंध में सजा सुनाई। न्यायाधीश ने कहा कि सजाएं एक साथ चलेंगी। ज्ञानशेखरन को दोषी ठहराते हुए अदालत ने माना कि दिसंबर 2024 में तमिलनाडु को झकझोर देने वाले इस यौन उत्पीड़न के मामले को अभियोजन पक्ष ने साबित किया और संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है।

सरकारी वकील ने तब संवाददाताओं को बताया कि अभियोजन पक्ष ने ज्ञानशेखरन के खिलाफ 11 आरोप दाखिल किए और दस्तावेजी एवं फोरेंसिक साक्ष्यों का उपयोग करके सभी आरोपों को साबित कर दिया। न्यायाधीश ने ज्ञानशेखरन को दोषी ठहराते हुए कहा कि उसने यह दावा किया था कि वह परिवार में कमाने वाला एकमात्र व्यक्ति है और इसके आधार पर उसने अदालत से सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया था।

सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के साथ आरोपी व्यक्ति के कथित संबंधों को लेकर तमिलनाडु में इस सनसनीखेज मामले के कारण राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था। हालांकि पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने जनवरी में कहा था कि ज्ञानशेखरन द्रमुक का सदस्य नहीं था, वह केवल पार्टी के प्रति झुकाव रखता था और इसका समर्थक था।

मामला तब प्रकाश में आया जब पीड़िता ने पिछले साल 23 दिसंबर को कोट्टूरपुरम के अखिल महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई। पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि जब वह अपने पुरुष मित्र के साथ थी, तब ज्ञानशेखरन ने उसे धमकाया और फिर उसका यौन उत्पीड़न किया। बाद में ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया गया।

मामले की प्राथमिकी तमिलनाडु पुलिस की अपराध एवं अपराधी निगरानी नेटवर्क एवं प्रणाली (सीसीटीएनएस) वेबसाइट से डाउनलोड की गई और मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा प्रसारित की गई, जिससे हंगामा मच गया। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने मामले की जांच एक विशेष जांच दल को सौंप दी, जिसने प्राथमिकी लीक होने की भी जांच की।

एसआईटी ने फरवरी में मजिस्ट्रेट अदालत में आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद मामला महिला अदालत को सौंप दिया गया। महिला अदालत ने ज्ञानशेखरन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए, जिनमें यौन उत्पीड़न, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) अधिनियम और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम शामिल हैं।

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