हरिन्दर सिंह गोगना
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मीनू के स्कूल में भी बच्चों को छुट्टियों की घोषणा कर दी गई थी। अब वह पहले की तरह ही घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रही थी। वार्षिक परीक्षाएं निकट होने के कारण अब तो वह टीवी और मोबाइल से भी दूरी बनाए हुई थी। लेकिन अब वह अकेले होने के कारण बीच-बीच में ऊबने लगी थी। लंबे अंतराल के उपरांत तो उसके स्कूल खुले थे और वह अपनी सहेलियों के साथ मिलकर पढ़ने लगी थी। सभी को अच्छा लग रहा था। फिर जो बातें आमने-सामने बैठ कर होती थी उनका मजा मोबाइल पर कहां?
एक दिन मीनू की खुशी का ठिकाना न रहा जब उसे पता चला कि उसकी सबसे प्रिय सहेली हरलीन के पापा ने उनके मोहल्ले में ही मकान खरीदा है। यानी अब उसकी सहेली उससे थोड़ी दूर ही थी जिसे वह जब चाहे मिल सकती थी और उसे भी अपने घर बुला सकती थी। मीनू ने सोच लिया कि वह दोनों सहेलियां मिल कर पढ़ेंगी और इससे एक दूसरे को पढ़ाई में सहयोग भी मिलेगा और दिल भी लगा रहेगा। लेकिन पापा ने उसे इजाजत देते हुए चेतावनी भी दी कि वह जब भी अपनी सहेली के घर जाए तो मुंह पर मास्क लगाना और कुछ खाने से पहले हाथ धोना न भूले। आजकल वायरस के संक्रमण के फिर से जोर पकड़ने से बहुत से लोग बीमार पड़ रहे हैं। मीनू ने पापा को विश्वास दिलाया कि वह उनकी दी हिदायत का पालन करेगी और अपना ध्यान रखेगी।
एक रोज मीनू अपनी सहेली हरलीन के घर से लौटी तो देखा उसके पापा उससे पहले ही घर आए हुए थे। वह समझ गई कि आज पापा आफिस से जल्दी घर आ गए हैं।
मीनू जैसे ही हाथ धो कर पापा के पास बैठी तो पापा ने उससे पूछा, ‘तुम अपनी सहेली के घर से आ रही हो और लगता है तुमने मास्क नहीं लगाया…?’ मीनू ने झूठ में ही कह दिया कि उसने मास्क लगाया हुआ था और अभी-अभी घर में आकर उतार दिया है। तब उसके पापा बोले, ‘मीनू तुम झूठ कब से बोलने लगी हो…?’ पापा की बात सुन कर मीनू एकदम घबरा कर बोली, ‘झूठ और मैं…? मैं समझी नहीं पापा…?’
‘तुमने अभी कहा कि तुमने मास्क पहना था और अभी अभी उतारा है, जबकि तुमने आज मास्क पहना ही नहीं। रास्ते में जब तुम एक दुकान से चाकलेट खरीद रही थी तो वहां बहुत से लोगों की भीड़ थी। मैंने मास्क पहना था और तुम्हारे करीब से गुजरा तो तुमने मुझे नहीं देखा। और फिर तुम्हारा मास्क तो यहां खूंटी पर टंगा हुआ था…यह रहा मेरे पास। जो तुम आज लेकर ही नहीं गई।’ तभी मीनू के पापा ने उसे उसका मास्क दिखाया तो मीनू मारे शर्म के सिर झुका कर बोली, ‘सॉरी पापा…।’
‘बेटा, आज ही मुझे पता चला कि मेरे दोस्त का बेटा भी कोरोना संक्रमित हो गया है। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उसे दो साप्ताह के लिए घर में ही सबसे अलग कर दिया गया है। उसका रो रो कर बुरा हाल था कि वह मम्मी पापा से अलग नहीं रहेगा मगर यह बीमारी एक से दूसरों को न हो इसके लिए अलग रहना अनिवार्य था। क्या तुम भी चाहती हो कि तुम्हारी लापरवाही हम सबको भी भुगतनी पड़े? क्या तुम अपने मम्मी से अलग रह पाओगी? मास्क पहनना इस वायरस के चलते अनिवार्य है। वर्ना कब इसका संक्रमण किसे अपनी लपेट में ले ले कोई नहीं जानता। इससे बचाव का सरल तरीका यही है कि मास्क जरूर पहनो और थोड़ी दूरी बनाना व हाथ धोना कभी न भूलें। इसी में सबकी भलाई है। क्या मैं तुमसे यह अपेक्षा कर सकता हूं कि तुम अब इन हिदायतों का ईमानदारी से पालन करोगी और कभी झूठ नहीं बोलोगी…?’ मीनू के पापा ने प्यार से मीनू को समझाते हुए कहा तो उसने वादा किया कि अब ऐसा ही होगा वह जब भी बाहर जाएगी मास्क पहनना नहीं भूलेगी। यह सुन कर पापा ने उसे सीने से लगा लिया।
फिर थोड़ी देर बाद उसके पापा जैसे ही किसी काम के लिए बाहर जाने लगे तो उनके कानों में मीनू की आवाज पड़ी, ‘पापा…आपने मास्क नहीं लिया…। यह लीजिए…।’ मीनू ने पीछे से आकर अपने पापा का मास्क उन्हें पकड़ाते हुए कहा तो वह बोले, ‘अब मुझे यकीन हो गया है कि हमारी मीनू समझदार हो गई है और अब कभी लापरवाही नहीं बरतेगी।’ यह सुन कर मीनू भी हल्का सा मुस्करा दी और कहने लगी, ‘मास्क पहनना अनिवार्य है।’