कविता में होना
पहाड़ जैसा
देखने के लिए/हर किसी को
गर्दन टेढ़ी करने की ज़रूरत होता है।
कविता में होना
नदी सरीखा
देखने के लिए/हर किसी को
नज़र के साथ-साथ
चलने की ज़रूरत होता है।
कविता में होना
तूफान की तरह
समझने के लिए/हर किसी को
धर-पकड़ की ज़रूरत होता है।