हर्षदेव
अर्जेंटीना के उपन्यासकार रोबेर्तो आर्ल्ट का उपन्यास ‘अग्नि अस्त्र’ मन को उद्वेलित करने वाली एक ऐसी गाथा है जो अपने तीखे और समाजवादी दृष्टिकोण के साथ समकालीन परिस्थितियों का बेहद गूढ़ विवेचन करती है। साथ ही स्त्री-पुरुष के आदिम संबंधों को भी टटोलती चलती है। रोबेर्तो एक ऐसे साहित्यकार हैं जो अपने समय में पढ़े भी नहीं गए।
रोबेर्तो ने एक ऐसे कथानक को चुना जो अपने समय के प्रवाह से टकराता हुआ उसके विपरीत चलने की कोशिश करता है और बार-बार नैतिकता या मानवीय आदर्शों के प्रति लापरवाह या उनको चुनौती देता प्रतीत होता है और इसी ऊहापोह में अंततः आत्महत्या कर बैठता है। कथानक में एक वेश्या है और कई स्त्रियां हैं जो बार-बार हमबिस्तर होती हैं लेकिन सामाजिक विद्रूपता का एक दृश्य छोड़ जाती हैं। इसमें ज्योतिषी के रूप में एक महत्वपूर्ण पात्र है जो तमाम मान्यताओं को बखिया उधेड़ते हुए भविष्य का खाका खींचता रहता है। उपन्यास का नायक एर्दोसेन कई बार नैतिक मूल्यों के लिए लड़ता दिखाई देता है, और कई बार उनको स्वयं भंजित भी करता है।
1970 के दशक में उनकी लिखी हुई विवेचनाएं अर्जेंटीना प्रत्यक्ष देखता है और उस हिंसा का शिकार होता है जो उन्होंने अपने उपन्यास में संभावना के तौर पर कही थी। द गार्डियन अखबार ने उनकी आमफहम भाषा की भी सराहना की है लेकिन हमको उसका हिंदी रूपांतरण पढ़ने की सुविधा मिली। रोबेर्तो ने अपने पात्र सीधे ब्लैक या व्हाइट में नहीं बल्कि ग्रे रंग में चित्रित किए हैं।
उपन्यासकार राजनीतिक कुसंस्कृति और चुनौतियों को भी निरूपित करता चलता है और यह काम वह विवेचन के बजाय संवादों के माध्यम से करता है। रचनाकार अपने लेखन में नायक की चारित्रिक और वैचारिक कमजोरियों को छिपाता नहीं है वरन उनके सहज रूप में प्रकट होने का अवसर पैदा करता है। रोबेर्तो का सबसे चर्चित उपन्यास ‘सात दीवाने’ (The Seven Madmen) था। वह ‘अग्नि अस्त्र’ उसी का अंतिम भाग बताते हैं। लेकिन यह अकेली रचना है जिसको अंग्रेजी में और उसके बाद विश्व की कई भाषाओं में अनूदित किया गया ।
क्या आज की दुनिया को 90 साल पहले कल्पना के परदे पर उतारा जा सकता था? इस सच को समझने-महसूस करने के लिए रोबेर्तो के उपन्यास ‘अग्नि अस्त्र’ को पढ़ना होगा। जो अपने युग से कितने ही दशक आगे की बात कहते और बताते हैं। अगर उनके जीवन की नजदीक से पड़ताल करें तो इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि वे इन दो तरीकों में एक तरह से जीते हैं : ‘कुछ सत्य से प्राप्त स्पष्ट को झूठ साबित कर देते हैं, और अन्य इसे सपाट बना देते हैं। पहले किस्म के लोगों में कलाकार और बुद्धिजीवी आते हैं। और जो लोग सत्य को सपाट बना देते हैं उनमें आते हैं सेल्समैन, उद्योगपति, सेना के अफसर और राजनेता। सच क्या है, मैं पूछता हूं। सच ये मनुष्य का शरीर है। मनुष्य और उसका शरीर। बुद्धिजीवी शरीर से नफरत करते हैं, वे कहते हैं : चलो सत्य को ढूंढ़ें, लेकिन उन्हें लगता है कि अमूर्त और काल्पनिक विचारों के बारे में उन्हें अंदाजा लगाना चाहिए। वे हर सम्भव विषय पर किताब लिख देते हैं, एक मच्छर उड़ता कैसे है, इसके मनोविज्ञान पर भी, अगर ये एक मजाक नहीं है तो।’
पुस्तक : अग्नि अस्त्र उपन्यासकार : रोबेर्तो आर्ल्ट प्रकाशक : राजपाल एंड संस, नयी दिल्ली पृष्ठ : 272 मूल्य : 385.