Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कविताओं में विविधता की सुगंध

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
Oplus_16908288
Advertisement

मुनीश कुमार बुट्टा

कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से लेकर असम तक, प्रकृति, भाषा और पहनावे में विविधता के बावजूद भारत एक है, और इसी भाव को डॉ. अंजु दुआ जैमिनी ने अपने लघु कविताओं के संग्रह ‘प्रकृति के पंगुड़े में’ में अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।

Advertisement

देशभर में एक यायावर की तरह घूम-घूमकर, डॉ. अंजु दुआ जैमिनी ने प्रत्येक प्रांत और शहर की आत्मा को अपनी लघु कविताओं के माध्यम से बड़ी खूबसूरती से उकेरा है। देश के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के प्राकृतिक सौंदर्य का जो चित्रण उन्होंने किया है, वह विरले ही देखने को मिलता है।

‘इत्र में नहाया कश्मीर’ कविता में डल झील, शिकारा और शालीमार बाग का मोहक वर्णन है, जबकि ‘गेहूं की बालियां’ में नूंह, मेवात और फरीदाबाद के हरे-भरे खेतों की जगह उग आए कंक्रीट के जंगलों का ऐसा चित्रण है, जिससे पाठकों के माथे पर चिंता की रेखाएं स्वतः उभर आती हैं।

‘वानर सेना - लंगूर सेना’ कविता में सवाई माधोपुर के झरनों पर बंदरों की मस्ती का चित्र है, वहीं ‘बाघ संरक्षक स्थल रणथंभौर में’ कविता में गाय की विवशता और बाघ के शाही रखरखाव का सजीव और मार्मिक वर्णन मिलता है।

‘बाट जोहते घाट’ में बनारस के घाटों की झलक महज़ दस पंक्तियों में मिल जाती है। ‘विरान गांव’ में ‘खांसती पगडंडियां और आकाश की ओर ताकती जवानियां’ जैसी पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने रोजगार की तलाश में विदेश जा रहे युवाओं और पीछे छूट गए वृद्ध माता-पिता की व्यथा को गहराई से उकेरा है।

‘बार-बार बुलाता उटकमंड’ और ‘कुन्नूर की नीलगिरी’ कविताओं में दक्षिण भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों —ऊटी की पहाड़ियों और कुन्नूर के चाय बागानों— का हृदयस्पर्शी चित्रण किया गया है।

102 लघु कविताओं के इस संग्रह ‘प्रकृति के पंगुड़े में’ की भाषा अत्यंत सरल, सजीव और प्रभावशाली है। इसमें अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है। कविताओं में कहीं-कहीं अंग्रेज़ी और उर्दू शब्दों का समावेश भी देखा जा सकता है। स्थान-स्थान पर शृंगार रस की भी मधुर झलक मिलती है।

पुस्तक : प्रकृति के पंगुड़े में कवयित्री : डॉ. अंजु दुआ जैमिनी प्रकाशक : पेसिफिक बुक्स इंटरनेशनल, नयी दिल्ली पृष्ठ : 102 मूल्य : रु. 350.

Advertisement
×