मेवात के प्रेमचंद कहे जाने वाले कथाकार भगवानदास मोरवाल को ‘शब्द साहित्यिक संस्था’ द्वारा साल 2024 का ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ दिया जाएगा। यह एक लाख का सम्मान वर्ष 2021 में प्रकाशित इतिहास के बिसरे नायकों के आख्यान अर्थात् ‘ख़ानज़ादा’ उपन्यास के लिए दिया जाएगा। निर्णायक मंडल ने कहा है कि ‘मोरवाल समकालीन हिंदी कथा साहित्य में सामाजिक यथार्थ एवं विडंबनाओं के सशक्त कथाकार हैं। ‘ख़ानज़ादा’ उपन्यास मुग़ल आक्रान्ताओं से लोहा लेते मेवातियों की शौर्यगाथा के अनछुए पहलुओं के रूपायन से हिंदी साहित्य को समृद्ध करता है। उपन्यास मेवात के अंतिम शासक हसन खां मेवाती की देशभक्ति को उकेरता है, जिसने 1527 में खानवा के युद्ध से पूर्व मुग़ल शासक बाबर की इस पेशकश को ठुकरा दिया था कि उसे हममज़हबी होने के नाते राणा सांगा के विरुद्ध युद्ध करना चाहिए। 17 मार्च, 1527 के इसी युद्ध में हसन खां मेवाती शहीद हो गया था। ‘ख़ानज़ादा’ उपन्यास का भारत और पाकिस्तान के लाहौर से भी उर्दू में अनुवाद प्रकाशित हुआ। यह पुरस्कार आगामी 22 दिसंबर को प्रदान किया जाएगा।
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