केवल तिवारी
बाल साहित्य में स्थापित हस्ताक्षर डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल की ताजा किताब आई है ‘सुनहरे पंख।’ बाल कहानियों की इस किताब में लेखक ने ‘बातोंबातों में’ जैसी शैली में कहानी को बुनते हुए हर तरह की सीख देने की कोशिश की है। कुल 25 कहानियों वाली इस किताब में घर-परिवार है। दोस्त हैं। जंगल हैं और जीव-जंतु हैं। शीर्षक कहानी ‘सुनहरे पंख’ में जहां यह समझाने की कोशिश की गई है कि कुदरत ने हर किसी को उसके हिसाब से बनाया है। पंछी उड़ते हैं, मछलियां तैरती हैं और इसी तरह अनेक जीव-जंतु। इसलिए दूसरे को देख कर अपने लिए कुछ सपने बुनना ठीक नहीं है, बल्कि अपनी स्थिति को स्वीकारते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। अपनी क्षमताओं को पहचानते हुए तरक्की पथ पर चलते रहना चाहिए।
इसी तरह कहानी ‘श्वान निद्रा’ जहां विद्यार्थियों के पंच लक्षणों की जानकारी देती है, वहीं ‘सॉरी दादाजी’ में खानपान को लेकर बच्चों के ही अंदाज में बच्चों को जानकारी देने की कोशिश की गई है। ‘गधों की हड़ताल’ हो या ‘मिनी का नया दोस्त’ या फिर ‘पुरानी किताबें’ हो या ‘अलविदा उदासी’, डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल ने अपने चिर-परिचित अंदाज में सहज-सरल भाषा एवं शैली से बच्चों के लिए छोटी-छोटी कहानियां लिखी हैं। कहीं-कहीं पर कुछ शब्द बच्चों के लिए थोड़े भारी-भरकम से लगते हैं, मसलन-अश्रुपूरित, तत्पश्चात।
इसी तरह एक जगह बच्चे को उठाती मां के बारे में लिखा है, ‘मां ने पुनः कहा।’ कुछ ऐसे ही शब्द एवं वाक्य खटकते हैं। यूं तो डॉ. अग्रवाल की हर कहानी और कविता कुछ सीख देती प्रतीत होती हैं और मनोरंजक भी होती हैं।
पुस्तक : सुनहरे पंख लेखक : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : केएल पचौरी प्रकाशन, गाजियाबाद पृष्ठ : 80 मूल्य : रु. 200.