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बाल पाठकों हेतु प्रेरक कहानियां

पुस्तक समीक्षा
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अरुण कुमार कैहरबा

डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल बाल साहित्य पर केन्द्रित शताधिक किताबें लिख चुके हैं। हालिया बाल कहानी संग्रह में उनकी कहानियां शिक्षा से ओतप्रोत हैं। प्रत्येक कहानी बच्चों के सामने एक नया संसार खोलती है। उनका ज्ञानवर्धन करती है और नया संदेश देती है। बच्चों को अच्छे संस्कार अपनाने के लिए प्रेरित करती है। कथाकार बहुत ही सहजता के साथ कहानी की शुरुआत करता है और फिर रोचक ढंग से घटनाओं व चरित्रों के आपसी वार्तालाप के माध्यम से गहरी बात कह जाता है।

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संग्रह में सात रंगों का तिलिस्म, चमत्कारी उंगलियां, सड़क बोली, पेट की छुट्टियां और हिप-हिप हुर्रे सहित कुल 18 कहानियां हैं। संग्रह की पहली और प्रतिनिधि कहानी ‘गुल्लू और फुदकू’ है, जिस पर संग्रह का नामकरण किया गया है। इस कहानी के 10 वर्षीय नायक गुल्लू का मन जीव-जंतुओं में रमता है। वह हरियल तोता, भोला खरगोश, टॉमी कुत्ता पालने के बाद फुदकू मेढक से दोस्ती बनाता है। इस कहानी में नन्हा गुल्लू मेढक के बारे में रोचक जानकारियां देता हुआ ज्ञानवर्धन करता है।

संग्रह की विभिन्न कहानियों के बाल नायक कमाल के हैं। ‘प्लास्टिक की बोतलें’ कहानी में निहाल अपनी मेहनत व ज्ञान से अपने माता-पिता को निहाल कर देता है। वहीं ‘वाह, फ्रेंडशिप वाह!’ का किरदार एकांत दोस्ती की नई मिसाल पेश करता है। वह माली के स्थान पर पार्क में पानी दे रहे बुजुर्ग व्यक्ति के स्थान पर पानी देने के लिए खुद को प्रस्तुत करता है। ऐसा काम करके वह सभी का दिल जीत लेता है। कहानी के अनुरूप व रोचकता लाने के लिए किताब में डाले गए चित्र प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।

पुस्तक : गुल्लू और फुदकू रचनाकार : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : अंकुर प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 80 मूल्य : रु. 250.

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