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हिमाचली हिंदी साहित्य इतिहास का दस्तावेज

अरुण नैथानी निस्संदेह, हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के बावजूद हिमाचल प्रदेश के रचनाकर्म को राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित प्रतिष्ठा नहीं मिली। हिमप्रदेश के रचनाकारों को यह अक्सर अखरता रहा। साहित्य की विभिन्न विधाओं में सृजन करने वाले रचनाकार डॉ....
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अरुण नैथानी

निस्संदेह, हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के बावजूद हिमाचल प्रदेश के रचनाकर्म को राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित प्रतिष्ठा नहीं मिली। हिमप्रदेश के रचनाकारों को यह अक्सर अखरता रहा। साहित्य की विभिन्न विधाओं में सृजन करने वाले रचनाकार डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने बीती सदी के अस्सी के दशक से हिमाचल के हिंदी साहित्य को राष्ट्रीय प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास आरंभ किया। उन्होंने चार दशक तक श्रमसाध्य प्रयास किया। जो अब एक ग्रंथ का रूप ले चुका है। इसके जरिये करीब तीन सदियों से अधिक के सृजन से नई पीढ़ी को अवगत कराने का प्रयास किया। एक लंबे कालखंड की साहित्यिक प्रवृत्तियों के रेखांकन का प्रयास हुआ है।

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डॉ. फुल्ल ने हिमाचल के हिंदी साहित्य-अनुरागियों की सुविधाओं हेतु रचित पुस्तक ‘हिमाचल का हिंदी साहित्य का इतिहास’ पुस्तक को चार काल-खंडों में विभाजित किया है। कुल 424 पृष्ठ के ग्रंथ में समय की दृष्टि से साहित्य को चार कालखंडों में विभाजित किया है। साहित्येतिहास में पहला दरबारी काल, जिसमें 1675 से सन‍् 1900 की रचनाएं शामिल हैं। दूसरा मध्यवर्ती काल, राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत सन‍् 1900 से 1947 तक का कालखंड। तीसरा देशप्रेम व मूल्य संरक्षण का आधुनिक काल 1947 से 2000 तक व तीसरा कालखंड सन‍् 2000 से अब तक। वहीं वर्ष 1947 से वर्ष 2023 तक के कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध साहित्य, एकांकी एवं नाटक, निबंध साहित्य, आलोचना, शोध-समीक्षा, बाल-साहित्य, व्यंग्य, यात्रावृत्तांत, जीवनी, संस्मरण व पत्र-पत्रिकाओं का लेखा-जोखा पुस्तक में है। कुल मिलाकर राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप समय-सापेक्ष सृजन का समावेश पुस्तक में है।

निस्संदेह, यह एक श्रमसाध्य कार्य था, जिसको पूर्णता देने में डॉ. सुशील कुमार फुल्ल को करीब चार दशक का समय लगा। पांच दशक से अधिक समय से साहित्य-सृजनरत डॉ. फुल्ल के खाते में 75 पुस्तकें हैं। जिसमें बारह कहानी संग्रह, दस उपन्यास, बारह आलोचना की पुस्तकें व दस अन्य ग्रंथ शामिल हैं। विपुल साहित्य सृजन के लिए उन्हें अनेक सम्मान मिले हैं। कुल मिलाकर उन्होंने हिमाचल की साहित्यिक मेधा को वैज्ञानिक ढंग से कालक्रम के सांचे में ढाला है। निस्संदेह, यह प्रयास शोधार्थियों, साहित्य प्रेमियों तथा प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।

पुस्तक : हिमाचल का हिंदी साहित्य का इतिहास लेखक : डॉ. सुशील कुमार फुल्ल प्रकाशक : इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 424 मूल्य : रु. 1395.

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