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शिक्षा की रंग-बिरंगी बाल कथाएं

पुस्तक समीक्षा
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घमंडीलाल अग्रवाल

व्यंग्य, लघुकथा, जीवनी एवं बाल साहित्य की लगभग 53 पुस्तकों के रचयिता गोविंद शर्मा की नवीनतम कृति है ‘सतरंगी बाल कहानियां’। इसमें रोचक, ज्ञानवर्धक एवं सीख प्रदान करने वाली सात बाल कहानियों को रखा गया है, जिनका आधार बाल मनोविज्ञान है। इन कहानियों में जीवन के विविध रंग मौजूद हैं।

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कृति की प्रथम कहानी ‘सिम्मी का स्कूल नहीं छूटा’ में बताया है कि गरीबी का सामना करते हुए किस तरह से सिम्मी यानी स्मिता से अपनी पढ़ाई जारी रखी। कहानी ‘चूहों की नहर’ यह संदेश देती है कि किसी कार्य को सम्पन्न करने में हौसले की ज़रूरत पड़ती है, शरीर का छोटा या बड़ा होना कोई अर्थ नहीं रखता। ‘गोलू और मूर्तियों का महल’ से साहस, लगन तथा कर्तव्यपालन का पाठ सीखने को मिलता है। ‘कक्का ने दिया सिक्का’ हमें पर्यावरण-चेतना की बात समझाती दिखाई पड़ती है

‘चुटकी भर मिट्टी’ कहानी प्लास्टिक के अधिक उपयोग से होने वाले खतरों से परिचित करवाती है। ‘हमारी रिश्तेदारियां’ दोपायों तथा चौपायों के मध्य रिश्तेदारियों व संबंधों पर आधारित है, जिसमें सीख के साथ-साथ भरपूर मनोरंजन का पुट है। कृति की अंतिम कहानी है ‘जादुई कप’। कहानी का ताना-बाना इस प्रकार से चुना गया है कि प्राचीन काल में प्रचलित जादू के रंग सजीव हो उठे हैं। कहानी के माध्यम से यह सलाह दी गयी है कि प्रत्येक मनुष्य अपनी शक्ति को परहित में ही उपयोग में लाए। यही आज के समय का ‘जादू’ माना जाएगा।

कृति की कहानियों की भाषा, सरल, सरस एवं बोधगम्य है। सुंदर आवरण के साथ प्रत्येक कहानी में चित्र भी हैं।

पुस्तक : सतरंगी बाल कहानियां लेखक : गाेविंद शर्मा प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 52 मूल्य : रु. 125.

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