Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कर्ण के जीवन को एक नई दृष्टि

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

डॉ. श्याम सखा श्याम

नरेन्द्र नागदेव का उपन्यास ‘हथेली पर कर्ण’ महाभारत के पात्र कर्ण के जीवन को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत करता है, जहां कर्ण का जन्म ही उसकी मृत्यु का आरंभ माना गया है। उपन्यास में यह विचार उभरकर सामने आता है कि कर्ण का सामाजिक बहिष्कार और उसकी पहचान की खोज ही उसकी त्रासदी का मूल है। यह दृष्टिकोण पाठकों को यह सोचने पर विवश करता है कि समस्या कर्ण के भीतर नहीं, बल्कि समाज की रूढ़ियों में है।

Advertisement

उपन्यास में कर्ण के चरित्र को एक सामाजिक और दार्शनिक द्वंद्व से जूझते हुए नायक के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया गया है, जहां वह अपने जीवन की पहचान की खोज में समाज की रूढ़ मान्यताओं से संघर्ष करता है। यह प्रस्तुति पाठकों को यह सोचने पर विवश करती है कि दोष नायक के व्यक्तित्व में नहीं, बल्कि समाज की संरचना में निहित है।

उर्दू काव्य में ‘ग़म-ए-जानां’ का ‘ग़म-ए-दौरां’ में बदल जाना, रचना को विशेष उत्कृष्टता प्रदान करता है— ऐसा माना जाता है। इस उपन्यास की एक और विशेषता यह है कि इसमें महाभारत की पौराणिक घटनाओं को समकालीन सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों के साथ एक तात्विक दृष्टि से जोड़ा गया है, जिससे यह केवल एक पौराणिक कथा न रहकर एक सार्वभौमिक सामाजिक पीड़ा की अभिव्यक्ति बन जाती है।

कभी पहले महाभारत पढ़ते हुए यह अनुभव हुआ था कि प्रेमचंद और शरतचंद्र चट्टोपाध्याय — भारत के दो महान लेखक — महाभारत के पात्र कर्ण के चरित्र से गहराई से प्रभावित रहे होंगे। प्रेमचंद और शरतचंद्र, दोनों ही समाज-संवेदनशील और यथार्थवादी लेखक थे, जिन्होंने अपने साहित्य में बार-बार उन पात्रों को केंद्रीय स्थान दिया जिन्हें समाज ने ‘निकृष्ट’ या ‘तिरस्कृत’ समझा। उन्होंने उन पात्रों को गौरव, मर्यादा और आत्मसम्मान की ऊंचाई प्रदान की। उपन्यास पढ़ते हुए अनुभव हुआ कि नरेंद्र नागदेव भी कर्ण के चरित्र के माध्यम से इसी भावना को उजागर करने में सफल रहे हैं।

उपन्यास की भाषा सहज और सरल है, जो पात्रों के संवादों के माध्यम से कथा को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाती है। इसमें करारा व्यंग्य भी देखने को मिलता है, जो समाज की जड़ता पर तीखा प्रहार करता है।

पुस्तक : हथेली पर कर्ण उपान्यासकार : नरेन्द्र नागदेव प्रकाशक : राजपाल एंड संस, नयी दिल्ली पृष्ठ : 176 मूल्य : रु. 325.

Advertisement
×