प्रतिनिधि संस्कृति पर रोक के लिए महिला अधिवक्ताओं ने की पहल
भिवानी, 22 मई (हप्र)
महिला नेतृत्व को वास्तविक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ताश्मिता मेमोरियल ट्रस्ट भिवानी की अध्यक्ष अधिवक्ता मीना जांगड़ा के नेतृत्व में महिला अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति को भिवानी के तहसीलदार के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर उनके पतियों या परिजनों द्वारा कार्य करने की प्रॉक्सी प्रतिनिधित्व की प्रवृत्ति सही नहीं है और इसकी रोकथाम किए जाने की जरूरत है। अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने कहा कि पंचायतों के साथ-साथ नगर परिषदों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों में भी यह प्रवृत्ति तेजी से फैल रही है, जिससे महिला जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने विशेष रूप से भिवानी नगर परिषद की चेयरपर्सन का उदाहरण देते हुए बताया कि चेयरपर्सन के सभी प्रशासनिक व वैधानिक कार्य अप्रत्यक्ष रूप से उनके पति द्वारा किए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र की मूल भावना और महिला सशक्तीकरण के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि ज्ञापन के माध्यम से प्रस्तावित कानून को केवल ग्राम पंचायतों तक सीमित न रखते हुए शहरी स्थानीय निकायों पर भी समान रूप से लागू किया जाए, महिलाओं को नेतृत्व, प्रशिक्षण एवं डिजिटल उपस्थिति की निगरानी जैसे सशक्तीकरण उपाय शहरी निकायों में भी सुनिश्चित किए जाए, प्रॉक्सी प्रतिनिधियों के विरुद्ध कठोर दंड का प्रावधान और शिकायत की स्पष्ट व्यवस्था स्थापित की जाए। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून न केवल महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र को और अधिक जवाबदेह व समावेशी बनाने की दिशा में भी एक प्रभावी कदम है। लेकिन इस कानून को सिर्फ ग्राम पंचायतों तक सीमित रखना और शहरी महिलाओं को वंचित रखना न्यायपूर्ण नहीं होगा। अधिवक्ता मीना जांगड़ा ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे इस विषय पर संज्ञान लें तथा संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें, जिससे महिलाओं को उनके चुने हुए पदों पर स्वतंत्र ढंग से कार्य करने का अवसर मिले।