महापुरुषों की वाणी होती है जीव के कल्याण और लाभ के लिए : कंवर साहेब महाराज
भिवानी, 18 मई (हप्र)
परमसंत सतगुरु हुजूर कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में साध संगत को फरमाते हुए कहा कि अपनी आंख, कान और मुख का उपयोग सद् गुण ग्रहण करने के लिए करो। शरीर के ये तीन अंग ही आपकी संगति तय करते हैं। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की वाणी जीव के कल्याण और लाभ के लिए होती है। संतों की वाणी में जीवन का सार छिपा है। इसलिए संतों की संगत हृदय के कपाट खोल देती है। क्या पता उनका कौन सा वचन कब आपका जीवन बदल दे। गुरु महाराज ने फरमाया कि इंसान पर जड़-चेतन की अनेक गांठें हैं, जो उसे माया में जकड़े रखती हैं। संसार के वो सारे पदार्थ जिनके लिए हम भागदौड़ और अभिमान करते हैं, भक्ति के लिए कोई मायने नहीं रखते।
उन्होंने कहा कि घट अंतर में भरे अमीरस कुंड की अनदेखी करके हम दुनियादारी के फीके पानी से अपनी भक्ति रूपी प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं, जिस प्रकार टिकट लेकर स्टेशन पर खड़े रहने मात्र से हमारी यात्रा पूर्ण नहीं होती वैसे ही सतगुरु से नाम लेकर उसकी कमाई किए बिना भक्ति यात्रा भी पूर्ण नहीं होती। भक्ति के लिए सांसारिक बंधनों से मुक्त होना पड़ेगा। इस मुक्ति के अनेक साधन हैं।
मनसा वाचा कर्मणा शुद्ध होना पड़ेगा। तन मन धन का अर्पण करना पड़ेगा। इंसान के पास तन और धन बेशक न हो लेकिन मन हर एक के पास है। मन को साध कर हम तन और धन की कमी को भी पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन को सात्विक बनाओ।