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अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन की पैनी नजर

रोहतक, 27 अप्रैल (निस) बाल विवाह एक कानूनी अपराध है और इसके लिए दो साल की जेल व एक लाख रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन पूरी...
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रोहतक, 27 अप्रैल (निस)

बाल विवाह एक कानूनी अपराध है और इसके लिए दो साल की जेल व एक लाख रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से सर्तक है और प्रशासन ने आमजन से भी बाल विवाह रोकने के लिए सहयोग की अपील की है।

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उपायुक्त धीरेन्द्र खड़गटा ने कहा कि अक्षय तृतीया के अवसर पर सामाजिक प्रथा अनुसार इस शुभ मुहूर्त पर लोगों द्वारा बड़ी संख्या में विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसकी आड़ में लोगों द्वारा काफी संख्या में बाल विवाह को भी संपन्न किया जाता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। साथ ही लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम बारे भी जागरूक किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि विवाह के लिए लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष व लड़के की शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित की गई है। इससे पहले विवाह करना कानूनन अपराध है। नियम के तहत बाल विवाह के आयोजन में भागीदार सभी लोगों पर कानूनी कार्रवाई किए जाने का भी प्रावधान है, जिसके तहत दो साल की जेल व एक लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान हैै। साथ ही उन्होंने अक्षय तृतीया के अवसर पर 30 अप्रैल को विवाह करवाने वाले पुजारी, पाठी, गांव के पंच, सरपंच, नंबरदार व शहरों में नगर पार्षदों एवं सामुदायिक केन्द्र, सार्वजनिक भवन, बैंक्वेट हाल, मैरिज पैलेस, धर्मशाला इत्यादि के मालिक प्रभारियों, कार्ड प्रिंटिंग, फोटोग्राफर, बैंड बाजा व टेंट हाउस आदि के संचालकों को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में आयोजित होने वाले विवाह समारोह के संबंध में पहले से दूल्हा व दुल्हन के आयु प्रमाण पत्रों की जांच कर लें व आयु प्रमाण पत्रों की एक प्रति अपने पास भी रखें। साथ ही अपने क्षेत्र में बाल विवाह का आयोजन न होने दें। ऐसा पाए जाने पर इसकी सूचना प्रशासन को दें और बाल विवाह रोकना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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