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जींद की सीआरएसयू में कई कोर्स बंद, विरोध में उठे स्वर

जींद की चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी (सीआरएसयू) में ग्रेजुएशन और पीजी के कई कोर्स और डिप्लोमा कोर्सेज बंद करने से विरोध तेज हो गया है। इस मसले पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से लेकर सांसद जयप्रकाश और सांसद सतपाल ब्रह्मचारी...
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जींद की चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी (सीआरएसयू) में ग्रेजुएशन और पीजी के कई कोर्स और डिप्लोमा कोर्सेज बंद करने से विरोध तेज हो गया है। इस मसले पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से लेकर सांसद जयप्रकाश और सांसद सतपाल ब्रह्मचारी सरकार पर हमलावर हैं।

सभी ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज, डिप्लोमा कोर्सेज को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह कह कर बंद कर दिया है कि उसके पास इनके लिए न तो इंफ्रास्ट्रक्चर है, और न ही बच्चों को पढ़ाने के लिए फैकल्टी की पूरी व्यवस्था है। कुछ साल पहले यूनिवर्सिटी में जब यह कई कोर्स शुरू किए गए थे, तब यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों की संख्या कम होती थी। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन क्लासेस और डिप्लोमा कोर्स शुरू किए गए थे। अब यूनिवर्सिटी ने एकाएक इनसे पल्ला झाड़ लिया है।

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बदले की भावना से चल रही सरकार : जेपी

हिसार से कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने भी चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी में कई कोर्सेज बंद किए जाने को जींद जिले के साथ प्रदेश की भाजपा सरकार का बड़ा विश्वासघात बताया है। जयप्रकाश ने कहा कि जींद में चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी भूपेंद्र हुड्डा ने सीएम रहते बनाई थी, ताकि जींद जिला शिक्षा के क्षेत्र में आगे निकल सके। जब से प्रदेश में भाजपा सरकार आई है, तब से यूनिवर्सिटी में न तो सहायक प्रोफेसर और न ही नॉन टीचिंग स्टाफ की नियमित आधार पर भर्ती की जा रही है। इस संबंध में कार्यवाहक वीसी रामपाल सैनी से कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

राजनीतिक बवाल शुरू 

तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने जींद में अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी चौधरी रणबीर सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाई थी। यूनिवर्सिटी बनने के कुछ समय बाद सत्ता परिवर्तन हो गया था। इसके बाद प्रदेश में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी थी। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा कई बार आरोप लगा चुके हैं कि यूनिवर्सिटी के साथ सरकार राजनीतिक कारणों से भेदभाव कर रही है। इस यूनिवर्सिटी में अभी तक 90 प्रतिशत सहायक प्रोफेसर कॉन्ट्रेक्ट के हैं। इसी तरह नॉन टीचिंग स्टाफ में भी कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है, जबकि नियमित सहायक प्रोफेसर और नॉन टीचिंग स्टाफ की भारी कमी है। सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि यूनिवर्सिटी का होना तो विस्तार चाहिए, लेकिन सरकार इसे छोटा करने में लगी है। इसके पीछे सरकार की राजनीतिक दुर्भावना है।

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