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नागरिक अस्पताल में नहीं मिल रही लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी कमी

स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा... मरीजाें को महंगे अस्पतालों में जेब ढीली करनी पड़ रही
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पंकज नागपाल/निस

हांसी, 13 मई

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क्षेत्र की एक लाख से अधिक आबादी को स्थानीय नागरिक अस्पताल में आधुनिक लेप्रोस्कोपी सर्जरी की सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी न होने से कई मरीजों को मजबूर होकर हिसार, अग्रोहा, रोहतक पीजीआईएमएस या फिर निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। कई महीनों से डिमांड भेजी जा रही है, लेकिन अभी तक इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

नागरिक अस्पताल में गाल ब्लेडर सर्जरी, हर्निया, अपेंडिक्स व पथरी समेत कई बीमारियों के लिए फिलहाल ओपन सर्जरी करनी पड़ रही है। आज के दौर में लोगों की बिना ज्यादा चीर फाड़ किए व दर्द रहित सर्जरी की डिमांड अधिक रहती है, लेकिन यहां यह सुविधा नहीं मिल पा रही। नागरिक अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं के अलावा डॉक्टरों की भी कमी है। बता दें कि अस्पताल में एक महीने पहले सर्जन डाॅ. राजीव डाबला ने ज्वाॅइनिंग की थी। उनके कार्यभार संभालते ही अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा फिर से शुरू हुई थी।

डाॅ. राजीव एक महीने में 27 ऑपरेशन व 8 नसबंदी कर चुके हैं। इसमें हेपेटाइटस सी व बी और 10 बड़े ऑपरेशन शामिल हैं। वहीं 16 छोटे ऑपरेशन किए गए। वहीं सर्जरी विभाग में डाॅक्टर हैं, लेकिन पर्याप्त संसाधनों के अभाव में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू नहीं हो पा रही। वहीं हिसार नागरिक अस्पताल के सीएमओ डॉ. सपना गहलौत ने बताया कि लेप्रोस्कोपी का मामला संज्ञान में आया है। जल्द हांसी अस्पताल में मशीन को शिप्ट करवा दिया जाएगा।

ओपन सर्जरी को लेकर मरीजों में कई शंकाएं

ओपन सर्जरी को लेकर मरीजों में कई तरह की शंका रहती है। काफी लोग इस सर्जरी से किनारा कर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करवाने के लिए मन बना लेते हैं। इस सर्जरी में भले ही मरीजों की जेब ढीली होती हो, लेकिन वे अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज हो जाते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के प्रति मरीज ज्यादा फोकस रखता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सुरक्षित और दर्द रहित ऑपरेशन प्रक्रिया है। इसे डे-केयर सर्जरी भी कहते हैं जिसमें रोगी ऑपरेशन के 24 घंटे के अंदर चलने-फिरने की स्थिति में आ जाता है। इस सर्जरी में पेट में छेद कर एचडी कैमरे से बीमारी का इलाज किया जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से गाल ब्लैडर यानि पित्त की थैली, पेल्विस, अपर और लोअर जीआई ट्रैक्ट, थोरेक्स सर्जरी, अपेंडिक्स, हर्निया के अलावा बड़ी व छोटी आंत का सफल आपरेशन संभव है।

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