पीएचडी एडमिशन में गड़बड़ी की जांच अधूरी
जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 4 जून
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन में कथित घोटाले की जांच पूरा नहीं हुई। जांच कमेटी के एक सदस्य की बड़े संवैधानिक पद पर नियुक्ति के बाद भी जांच कमेटी अधूरी हो गई है। जांच में इतनी देरी पर छात्र संगठन एबीवीपी ने जांच कमेटी की नियत पर ही सवाल बता दिया है। एबीवीपी ने कहा कि जांच में हो रही देरी के विरोध में आंदोलन से भी परहेज नहीं किया जाएगा। सीआरएसयू के प्रबंधन विभाग में पीएचडी में एडमिशन में कई तरह की गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए शिकायत राज्यपाल और प्रदेश सरकार से की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि प्रबंधन विभाग में पीएचडी में 4 सीटों पर एडमिशन की नोटिफिकेशन जारी कर 12 एडमिशन कर दिए गए। इसमें रिजर्वेशन रोस्टर को भी ताक पर रखा गया। प्रबंधन विभाग में पीएचडी में एडमिशन में कथित घोटाले की जांच 5 महीने बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हुई है। यूनिवर्सिटी की एबीवीपी शाखा के अध्यक्ष राहुल कक्कड़ ने कहा कि जांच में देरी से जांच कमेटी की नियत पर शक हो रहा है। इस मामले की जांच चलते हुए 5 महीने हो गए है, परंतु अब तक जांच पूरी नहीं हुई। इस दौरान 6 फेल हुए छात्र अपने भविष्य को लेकर जूझ रहे हैं। जो 5 छात्र पास हो गए हैं, वह भी अपने भविष्य को लेकर जूझ रहे हैं, क्योंकि पास होने के बावजूद भी उन छात्रों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा। डिपार्टमेंट के पास सीट ही नहीं है, तो एडमिशन कैसे होगा। एबीवीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रोहन सैनी ने कहा कि इस गड़बड़ी में सीधे-सीधे विभाग के अध्यक्ष सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। उन्हें पता था कि उनके विभाग की स्थिति क्या है, परंतु उसके बाद भी सीटों से कहीं ज्यादा एडमिशन पीएचडी में कर दिए गए। जो छात्र प्री कोर्स वर्क में पास हुए, उनका भी आज तक ने जेआरएफ देना विश्वविद्यालय द्वारा शुरू नहीं किया गया और न ही उनका रजिस्ट्रेशन हुआ। जल्द से जल्द इस मामले में संज्ञान नहीं लिया गया तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इसे लेकर अनशन शुरू करने और राज्य स्तरीय आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेगी। दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार प्रो लवलीन मोहन थी कह रही हैं कि जांच जल्द पूरी हो जाएगी।