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हांसी विकास को तरसा, रोजगार के अवसर नदारद

ऐतिहासिक शहर पहचान से वंचित, पुलिस जिला तो बन गया अब प्रशासनिक जिले के दर्जे का इंतजार
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पंकज नागपाल/निस

हांसी, 19 मई

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इतिहास के पन्नों में शानदार पहचान रखने वाला हांसी शहर अब विकास को तरस रहा है। राजनीतिक उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही के शिकार रहे इस शहर को लोगों की मांग है अब इसे प्रशासनिक जिला बनाया जाए। उन्हें उम्मीद है कि जिला बनने के बाद ही हांसी का कायाकल्प होगा और राेजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। फिलहाल यहां बड़ा शिक्षण संस्थान, कारखाने की दरकार है। पुलिस जिला बनने के बावजूद लोगों की समस्याएं कम नहीं हो रही, सरकारी कार्यों के लिए उन्हें हिसार के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

ऐतिहासिक हांसी शहर अंग्रेजों के जमाने में जिले के रूप में जाना जाता था। देश आजाद होने के बाद हांसी इतिहास के पन्नों में तो अपनी पहचान बनाये हुए है, लेकिन रोजगार के अवसर न होने के कारण विकास के मामले में हांसी धीरे-धीरे पिछड़ता चला गया। संयुक्त पंजाब में जालंधर के बाद हांसी कपास उत्पादक क्षेत्र के रूप में पूरे भारत में विख्यात था और उस दौरान हांसी में अनेक कॉटन मिलें थी और इन मिलों से रूई का उत्पादन पूरे भारत में होता था। कपास का उत्पादन घटने के बाद कॉटन मिलें बंद होती चली गई। उसके बाद हांसी में बनने वाली खल अनेक प्रदेशों में प्रसिद्ध होने लग गई और हांसी में धीरे-धीरे खल व ऑयल मिल का व्यापार पैर पसारने लगा। 10 साल पहले तक हांसी में 44 खल व ऑयल मिल से बिनौला-खल का उत्पादन होता था और ये खल देश के 6 प्रदेशों में बेची जाती थी। खल की क्वालिटी में मिक्सिंग के चलते हांसी की खल की मार्केट खत्म होती चली गई और खल व ऑयल मिल बंद होने लगी। वर्तमान में 10 ऑयल मिलें ही चल रही हैं और इनमें उत्पादन नाममात्र का ही हो रहा है।

10 साल मांग कर रहे हैं यहां के लोग

पिछले 10 साल से हांसी को जिला बनाने की मांग बढ़ रही है, जिसके बाद सरकार ने हांसी को जिला बनाने की सहमति दे रखी है। यदि हांसी जिला बनता है तो युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मिल सकते हैं। हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद हांसी में कोई ऐसा औद्योगिक कारखाना नहीं है जिसमें क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिल सके।

1977 में उमरा रोड पर सरकारी एजेंसी हैफेड की धागा मिल लगायी गई थी और प्रदेश की सबसे बड़ी इस धागा मिल में 2500 लोग काम करते थे। लगातार घाटे के चलते 1992 में इस मिल को बंद कर दिया गया और मिल के बंद होने के बाद मिल में काम करने वाले सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए। नेताओं ने हर चुनाव के दौरान क्षेत्र में बड़े औद्योगिक कारखाने लगाने के वादे किये, लेकिन आज तक क्षेत्र में एक भी ऐसा कारखाना नहीं लगा जिसमें युवाओं को रोजगार मिल सके।

2016 में बना था पुलिस जिला

भाजपा सरकार के गठन के बाद क्षेत्र के लोगों को उम्मीद जगी कि अब हांसी को जिले का दर्जा मिल सकेगा। लोग इसे लेकर काफी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। हांसी को वर्ष-2016 में क्षेत्र के लोगों की पुरजोर मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पुलिस जिला बना दिया था और उसके बाद से हांसी में एसपी की तैनाती की गई थी।

सरकारी कार्य के लिए हिसार के लगाने पड़ते हैं चक्क र

गौरतलब है कि हांसी को प्रशासनिक जिला बनाने की मांग लंबे अरसे से चली आ रही थी और अब हांसी जिला बनने की ओर अग्रसर है। यदि हांसी जिला बनता है तो पिछड़े क्षेत्र में कई बड़े शिक्षण संस्थान, कारखाने, मेडिकल काॅलेज, खेल स्टेडियम, अनेक नामी कंपनियों के बड़े-बड़े शोरूम, ऑटोमोबाइल कम्पनियों के अधिकृत सेंटर, शॉपिंग मॉल आदि बनने से प्रदेश में हांसी की अलग पहचान बनेगी और हजारों युवाओं को क्षेत्र में ही शिक्षा व प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

जिला बनने से कई ऐसे विभागों के कार्यालय भी यहां खुलेंगे, जिनमें सरकारी कार्य करवाने के लिए लोगों को अब हिसार लघु सचिवालय के चक्कर लगाने

पड़ते हैं।

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