दक्षिणी हरियाणा में वर्षा के बाद बाजरे की बिजाई शुरू
चरखी दादरी (हप्र) :
गर्मी से झुलस रहे क्षेत्र में शनिवार को हुई 102 एमएम बारिश के बाद मौसम में नमी आते ही रेतीले क्षेत्र में बाजरे की बुवाई शुरू हो गई है। जयेष्ठ माह में बाजरे की बिजाई को सबसे उपयुक्त माना जाता है और ट्यूबवेल की सिंचाई के बजाय बारिश से बिजाई को किसान ज्यादा फायदेमंद मानते हैं। राजस्थान सीमा के साथ लगने के कारण अधिकतर कृषि भूमि रेतीली है और नहरी पानी आपूर्ति कम होने के कारण खरीफ सीजन में बाजरा, ग्वार की फसल को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। फिलहाल जिले में कपास की केवल 35 हजार एकड़ में बुवाई की गई है। वहीं दो लाख एकड़ में ग्वार, बाजरे की बुवाई की उम्मीद है। बाजरा इस क्षेत्र में खरीफ की एक मुख्य फसल है। अधिक गर्मी और लू, गर्म हवा चलने से कपास की फसल मुरझाने लगी ऐसे समय में यह बारिश ने फसलों के लिए संजीवनी का काम किया है। कृषि विशेषज्ञ डाॅ. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि शनिवार रात को तूफानी बारिश प्रदेश के दक्षिणी कृषि क्षेत्र के लिए लाभदायक रहेगी। इस खरीफ मौसम में कपास की बिजाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। कपास के साथ साथ हरे चारे की फसलों में भी लाभ होगा। बाजरे की बिजाई के लिए भी बारिश काफी फायदेमंद है।