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सुक्खू ने जल-विद्युत परियोजना, पर्यटन का मुद्दा रखा, मान ने पानी पर खींचा ध्यान

नीति आयोग की बैठक में पंजाब और हिमाचल के मुख्यमंत्रियों ने उठाये राज्यों के कई मुद्दे
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नयी दिल्ली में शनिवार को नीति आयोग की बैठक के दौरान हिमाचल के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू जम्मू के सीएम उमर अब्दुल्ला के साथ। -पैट्र
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ज्ञान ठाकुर/ हप्र

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शिमला, 24 मई

मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश को देश के पर्यटन मानचित्र पर सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में लाने के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में नीति आयोग की बैठक में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, इको, जल, प्राकृतिक गतिविधि आधारित और स्वास्थ्य पर्यटन को विविध आयाम प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे पर बड़े विमानों के उतरने के लिए हवाई पट्टी का विस्तारीकरण किया जा रहा है जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ पर्यटकों को भी सुविधा होगी। उन्होंने जल विद्युत परियोजनाओं में राज्यों के अधिकारों की भी पुरजोर वकालत की और मुफ्त रॉयल्टी और 40 वर्ष पूरे कर चुके पीएसयू तथा सीपीएसयू को राज्य को सौंपने का मामला भी उठाया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की ऊर्जा नीति के अनुसार रॉयल्टी संबंधी मामला भी उठाया। सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, उसके बाद 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत तथा इसके बाद 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। प्रदेश सरकार ने हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। जल्द हिमाचल देश के अग्रणी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक राज्य के रूप में उभरेगा। जिला सोलन में राज्य सरकार ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर एक मेगावाट क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है।

प्रधानमंत्री से भेंट कर तुर्की से सेब आयात और अन्य मुद्दों पर चर्चा की

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट कर हिमाचल प्रदेश के लिए उदार वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा लम्बित धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने जल विद्युत परियोजनाओं में राज्यों के अधिकारों की भी पुरजोर वकालत की और मुफ्त रॉयल्टी तथा 40 वर्ष पूरे कर चुके पीएसयू तथा सीपीएसयू को राज्य को सौंपने का मामला भी उठाया। उन्होंने राज्य के सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा का भी आग्रह किया तथा तुर्की और अन्य देशों से सेब के आयात के संबंध में चर्चा की। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री की मांगों को सुना और सेब के आयात संबंधी मामले की समीक्षा करने तथा अन्य मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।

जल विवाद पर पंजाब के खिलाफ पक्षपातपूर्ण नजरिया : मान

दिल्ली में शनिवार को नीति आयोग की बैठक के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रधानमंत्री मोदी का अभिवादन करते हुए। -पैट्र

चंडीगढ़ (एजेंसी):

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को हरियाणा के साथ जल बंटवारे के विवाद का मुद्दा उठाया और सीमावर्ती राज्य के खिलाफ भेदभाव की बात कही। उन्होंने दिल्ली में नीति आयोग की शासी परिषद की 10वीं बैठक में पंजाब के साथ केंद्र के व्यवहार को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘अनुचित तथा अवांछनीय’ बताया। उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध पर सीआईएसएफ की तैनाती को लेकर केंद्र की निंदा की। पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर टकराव चल रहा है, क्योंकि आप सरकार ने भाखड़ा बांध से पानी साझा करने से इनकार कर दिया है। पंजाब सरकार का कहना है कि पड़ोसी राज्य पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर चुका है। एक बयान के अनुसार मान ने जोर देकर कहा कि पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है। उन्होंने इस गंभीर स्थिति को कम करने के लिए सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर की जगह यमुना सतलुज लिंक (वाईएसएल) नहर के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में पहले ही कम पानी है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी का बंटवारा करते समय यमुना पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी पर विचार किया गया। मान ने केंद्र द्वारा गठित सिंचाई आयोग की 1972 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहा गया है कि पंजाब यमुना नदी घाटी में आता है, और इसलिए, यदि हरियाणा का रावी और ब्यास नदियों के पानी पर दावा है, तो पंजाब का भी यमुना के पानी पर समान अधिकार होना चाहिए।

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