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‘मानव अधिकारों के चैंपियन थे श्री अरबिंदो’

चंडीगढ़, 15 अक्तूबर (ट्रिन्यू) पंजाब विश्वविद्यालय के मानवाधिकार केंद्र ने विभाग सह महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र के सहयोग से ‘श्री अरबिंदो और आत्मनिर्णय की समस्या’ पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ओडिशा के पूर्व कुलपति प्रो. सच्चिदानंद मोहंती ने एक व्याख्यान दिया।...
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चंडीगढ़, 15 अक्तूबर (ट्रिन्यू)

पंजाब विश्वविद्यालय के मानवाधिकार केंद्र ने विभाग सह महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र के सहयोग से ‘श्री अरबिंदो और आत्मनिर्णय की समस्या’ पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ओडिशा के पूर्व कुलपति प्रो. सच्चिदानंद मोहंती ने एक व्याख्यान दिया। मानवाधिकार एवं कर्तव्य केंद्र की चेयरर्पसन प्रो. नमिता गुप्ता ने प्रोफेसर मोहंती का स्वागत किया।

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प्रो. मोहंती ने आत्मनिर्णय के निर्माण के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारत को आजादी दिलाने में श्री अरबिंदो की अहम भूमिका थी। श्री अरबिंदो को मानव अधिकारों के चैंपियन के रूप में भी जाना जाता है। प्रो. मोहंती ने भारत की आजादी के लिए घोष के 5 सपनों में प्रकट होने वाले दृष्टिकोण को और विस्तार से बताया - ‘भारत के लिए स्वतंत्रता; एक संघ के लिए स्वतंत्रता; एशिया का उदय; विश्व का संघ’ और एक ‘व्यक्ति का सुपर माइंड’ और उल्लेख किया कि श्री अरबिंदो, एक दार्शनिक होने से पहले एक विचारशील व्यक्ति थे जो अनुसरण करते थे और परिणामी कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध थे।

इस वार्ता में दोनों विभागों के छात्रों, अनुसंधान विद्वानों और अतिथि संकायों ने भाग लिया। इसके बाद एक इंटरेक्टिव चर्चा हुई जिसमें प्रो. मोहंती ने ‘पितृसत्तात्मक महिला’ और ‘नारीवादी पुरुष’ की व्यंग्यात्मक उपमाएं चित्रित कर जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, डीएच लॉरेंस, जॉर्ज ऑरवेल और मनोवैज्ञानिक इवान पावलोव की विपुल साहित्यिक कृतियों को उद्धृत किया।

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