जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 दिसंबर
पंजाब विश्वविद्यालय की नवगठित सीनेट की पहली मीटिंग कब होगी यह तो अभी तय नहीं है लेकिन सिंडिकेट के गठन को लेकर सरगर्मिंयां तेज हो गयी हैं। बताया जाता है कि पीयू के चांसलर और देश के उप-राष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर सकते हैं। हालांकि कुछ मैंबरों को लेकर पहले ही कानूनी पचड़े और अब संसद का शीतकालीन सत्र चलने के कारण नोटिफिकेशन जारी होने में थोड़ा वक्त लग रहा है। पीयू की सीनेट-सिंडिकेट राजनीति इसके बाद ही शुरू होगी क्योंकि आज के दिन सिंडिकेट वजूद में नहीं है लिहाजा सिंडिकेट के गठन का क्राइटेरिया क्या होगा, इसे लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही हैं लेकिन फैकल्टी अलाट किये जाने को लेकर दोनों प्रमुख ग्रुपों की राय एक जैसी ही है, दोनों ही 4-4 फैकल्टीज आप्ट करने की ही बात कह रहे हैं। गोयल एंड गोयल ग्रुप के प्रो. नवदीप गोयल का कहना है कि पिछली सिंडिकेट जिसका एक साल पहले कार्यकाल समाप्त हो चुका है, उसी के मुताबिक फैकल्टी अलाट होंगी। कैलेंडर में कुछ साफ नहीं है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो सीनेटरों का नोटिफिकेशन जारी हो उसके बाद सिंडिकेट के गठन की बात आयेगी। हालांकि गोयल ग्रुप भी पूरी तरह आश्वस्त है कि सिंडिकेट में उनका ही दबदबा रहेगा।
दूसरी ओर भाजपा ग्रुप के एक वरिष्ठ सीनेटर ने कहा कि पहले की तरह सभी सीनेटरों को चार-चार फैकल्टी अलाट होंगी क्योंकि फिलहाल जो व्यवस्था है उसी के मुताबिक चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि कोई न कोई रास्त निकल आयेगा और दिसंबर के अंत तक या जनवरी माह के पहले हफ्ते में नई सिंडिकेट बन जायेगी। नई सीनेट सभी फेलो से फैकल्टी के आप्शन मांगे जायेंगे। इनका भी दावा है कि सिंडिकेट में सभी 15 सदस्य इन्हीं के ग्रुप से होंगे। याद रहे सीनेटर सत्यपाल जैन सीनेटरों को लेकर दो बार शक्ति-प्रदर्शन भी कर चुके हैं और संख्या बल अपने हक में होने का दावा कर चुके हैं हालांकि असल पता तो चुनाव के दिन ही लग पायेगा क्योंकि पीयू की सीनेट-सिंडिकेट की राजनीति में कोई विचारधारा और पार्टी लाइन के मुताबिक नहीं चलता बल्कि निजी लाभ-हानि के हिसाब से चलते हैं। जो कांग्रेसी बताये जाते हैं, वे कब भगवाधारी हो जायें, इसका पता नहीं और ठीक इसी तरह से भगवा कहलाने वाले कब ‘लाल’ सलाम ठोकने लग जायें इसका भी कोई भरोसा नहीं।
केंद्र के पास कोई भी फैसला लेने की पावर : प्रो. ग्रोवर
पीयू के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर का कहना है कि पीयू के इतिहास में यह पहला मौका है जब इस तरह के हालात पैदा हुए हैं। पीयू एक्ट बनाते समय यह कभी सोचा नहीं गया होगा कि सिंडिकेट या सीनेट कभी किसी वजह से डिस्कांटीन्यू होंगी। लेकिन फिर भी एक्ट में धारा 41 ए और बी में इसका स्पष्ट प्रावधान दिया गया है कि जब भी ऐसे हालात पैदा हों और यूनिवर्सिटी अथॉरिटी की पहली बैठक के संबंध में एक्ट के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिये केंद्र सरकार को स्पेशल टेम्परेरी पावर होंगी। केंद्र सरकार किसी भी वक्त किसी नियुक्ति या तर्कयुक्त काम के लिये पेश आ रही किसी दिक्कत को दूर करने के लिये कोई उचित एवं आवश्यक कदम उठा सकती है। पीयू एक्ट बताया है कि बिना किसी पूर्वाग्रह के सरकार यह आदेश जारी कर सकती है कि सिंडिकेट की निरंतरता बनाये के लिये चुनाव सुनिश्चित हो सके और सबसे बड़ी बात इसमें स्पष्ट लिखा है कि फेलो के लिये फैकल्टी के कांस्टीट्यूशन और अलोकेशन की पावर भी उसके पास है। कैलेंडर में यह कहीं नहीं लिखा है कि सीनेटरों को चार-चार फैकल्टी अलाट हों, चूंकि इस वक्त कोई सिंडिकेट है ही नहीं, किसी को कोई फैकल्टी अलाट नहीं की गई है। सीनेट को ही फैकल्टीज नये सिरे से अलाट करनी हैं। इसलिये सभी को दो-दो फैकल्टी अलाट की जायें जिसमें से एक मेजर हो और एक माइनर हो। केंद्र ऐसा कर सकता है क्योंकि एक्ट में ऐसा प्रावधान है। हालांकि ये सुझाव रिफार्म्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दिये हैं जिन्हें अभी सीनेट-सिंडिकेट के विचारार्थ लाया जाना है।